(www.arya-tv.com) यहां बाहर से ही चहलकदमी थी। लड़के और लड़कियां अंदर जाने के लिए एंट्री करवा रहे थे। यहां दीवार पर लिखा था ‘अंडर 21 ईयर प्रोहिबिटेड इन क्लब’ लेकिन कम उम्र के लड़के-लड़कियां अंदर जा रहे थे। नियमानुसार, गेट पर ही खड़े स्टाफ को उनकी आईडी जांचनी चाहिए थी।
लेकिन, ऐसा हो नहीं रहा था। लिकर लाइसेंस (जहां शराब मिलती हैं) पर चलने वाले इन नाइट क्लब में आने वालों के लिए न्यूनतम उम्र 21 साल निर्धारित है। आबकारी महकमा ही लाइसेंस देते हुए इन नियमों को सख्ती से लागू कराने के लिए कहता है। इन क्लब की लेट नाइट पार्टी चलती हैं। इसमें कॉलेज के स्टूडेंट ज्यादातर पहुंचते हैं। बुकिंग एडवांस होती है। गेस्ट के हिसाब से डील ली जाती है। इसलिए उम्र की पाबंदी को साइड में रहने दिया जाता है।
लखनऊ के नाइट क्लब और बार में ड्रिक्स के साथ डांस पार्टी होती है। कर्मचारियों का कहना था कि दिन में आने वालों में ज्यादातर स्टूडेंट होते हैं। दिन का पूरा कारोबार ऐसे ही स्टूडेंट्स के सहारे चलता है। कई स्टूडेंट तो ड्रेस में ही पहुंच जाते हैं।
राजधानी के कई क्लब और बार में जीएम रह चुके शख्स बताते हैं कि इस वक्त करीब 30% लोग 21 साल से कम उम्र के होते हैं। दो दिन पहले शासन से जारी आदेश में घर में बार लाइसेंस के लिए निर्धारित उम्र 21 साल कर दी गई है। क्लब में भी यही नियम हैं। कुछ क्लब में आईडी चेक की जाती है। लेकिन ग्रुप में होने की वजह से एंट्री दी जाती है। नाइट क्लब में कपल एंट्री होती है। इसमें 10 और 12 में पढ़ाई करने वालों की संख्या ज्यादा होती है।
आयोग की महिलाएं अब क्लबों में जाकर देखेंगी हाल
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सीनियर सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी कहती हैं कि ऐसे क्लब को हम लोग चिह्नित कर रहे हैं। हम लोग खुद मौके पर जाकर देखेंगे कि कम उम्र के लड़के-लड़कियों को तो एंट्री नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि ये रिपोर्ट 18 साल तक के बच्चों की होगी, लेकिन शराब पीने वालों की जांच 21 साल के आधार पर करेंगे। ये रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
बार के लिए न्यूनतम उम्र का मानक आबकारी विभाग ने तय किया है। विभाग के लिए शनिवार और रविवार को चेकिंग अनिवार्य हैं। लेकिन, विभाग कम उम्र के बच्चों की एंट्री को लेकर कार्रवाई की कोई सटीक जानकारी नहीं देता है।