( www.arya-tv.com) भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने कर्नाटक के बैंगलुरू से शोभा गस्ती के काम को पहचाना है। लड़कियों तथा देवदासी महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया है, जिसके लिए भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें राष्ट्रपति भवन के लिए आमंत्रण भेजा, जहां शोभा ने राष्ट्रपति जी से मुलाकात की और अपने अनुभवों को साझा किया। शोभा ने बताया कि कैसे लड़कियां कम उम्र में शादी के बंधन में फंस जाती है, उन्होंने कहा कि लड़कियों को इससे बचाने के लिए शिक्षा और जागरुकता बढ़ाना बेहद ज़रूरी है।
उन्होंने बताया कि कैसे सालों से देवदासी महिलाएं जु़ल्म का शिकार बन रही हैं और साथ ही इनके सशक्तीकरण के लिए अपनी यात्रा के बारे में जानकारी दी। कर्नाटक की राज्य सरकार ने उनके काम को पहचान कर भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया। जिसके बाद उन्हें राष्ट्रपति भवन से काॅल आया, और उन्हें श्री राम नाथ कोविंद के साथ मिलकर अपने कार्यों के बारे में बताने का मौका मिला। चाइल्ड राइट्स एण्ड यू- क्राई 2012 से शोभा को बाल अधिकारों पर काम करने के लिए सहयोग एव्र समर्थन प्रदान कर रहा है।
‘‘मुझे गर्व है कि मुझे इन ज़रूरतमंद समुदायों के लिए काम करने का मौका मिला है, हमने आम जनता और वरिष्ठ नीति निर्माताओं के साथ मिलकर इस विषय में जागरुकता बढ़ाने की कोशिश की है। आज मैंने राष्ट्रपति जी को बाल अधिकारों और देवदासी महिलाओं के समक्ष आने वाली समस्याओं के बारे में बताया। उनके साथ इस विषय पर बातचीत करना अपने आप में विशेष अनुभव था।
मैंने उनका ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि कैसे शिक्षा के द्वारा बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों को हल करने में मदद मिल सकती है।’’ शोभा गस्ती ने कहा। ‘‘सीमांत समुदायों के लिए शोभा गस्ती का कार्य और देश के सर्वोच्च कार्यालय द्वारा इस काम को पहचाना जाना अपने आप में सराहनीय है, जिसकी वे सही मायनों में हकदार हैं। पिछले चालीस सालों की यात्रा में क्राई हमेशा से बदलाव के चैम्पियन के रूप में आग्रणी रहा है और शोभा ने इसका प्रतिनिधित्व किया है।
अपनी बहादुरी, दृढ़ इरादे के साथ शोभा एक उल्लेखनीय बदलाव लेकर आई हैं। हमें उम्मीद है कि उनका कार्य आने वाले समय में भी महिलाओं को आगे पाने और इस तरह के बदलाव में योगदान देने के लिए प्रेरित करेगा।’’ पूजा मारवाह, सीईओ, क्राई ने कहा। मिस शोभा गस्ती पिछले दो दशकों से बाल अधिकारों और देवदासी महिलाओं के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने देवदासी रीहेबिलिटेशन प्रोजेक्ट के लिए स्वयंसेवी के रूप में काम किया और अपनी इस मुहिम को ताकत देने के लिए अम्मा फाउन्डेशन की सह-स्थापना की। आज वे क्षेत्र की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने अपना जीवन इस नेककाज के लिए समर्पित कर दिया है, जिसके लिए लड़ने का उन्होंने वादा किया था।