(www.arya-tv.com) भारत सरकार ने फिल्म सर्टिफिकेशन अपीलेट ट्रिब्यूनल को रातोंरात निरस्त कर दिया है। इससे फिल्म प्रोड्यूसर्स के लिए सेंसर बोर्ड के फैसले के खिलाफ अपील में जाने का एक रास्ता बंद हो गया है। केन्द्र सरकार ने दो दिन पहले दी ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रैशनलाइजेशन एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) ऑर्डिनेंस, 2021 जारी किया है।
इसके जरिए अलग-अलग आठ ट्रिब्यूनल को निरस्त किया गया है। जिसमें फिल्म सर्टिफिकेशन अपीलेट ट्रिब्यूनल भी शामिल है। अब जिस भी निर्माता को सेंसर बोर्ड के फैसले से आपत्ति होगी, उसे सीधे हाईकोर्ट में ही अपील करनी पड़ेगी। फिल्म कलाकारों ने इसे सिनेमा के लिए काला दिन बताया है। हंसल मेहता से लेकर विशाल भारद्वाज तक ने इस बारे में ट्वीट कर गुस्सा जाहिर किया है।
बहुत बुरी खबर : इम्पा
इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (इम्पा) के प्रेसिडेंट टीपी अग्रवाल ने दैनिक भास्कर को बताया कि फिल्म उद्योग के लिए ये ट्रिब्यूनल निरस्त हो जाना बहुत ही बुरी खबर है। अब तक हम लोग सेंसर बोर्ड के फैसले के खिलाफ ट्रिब्यूनल में चले जाते थे, तो काफी सारे मामले सेटल भी हो जाते थे। ट्रिब्यूनल खुद सर्टिफिकेट जारी करता था, जो हमारे लिए मान्य होता था। शायद ही कोई मामला होगा, जहां ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में जाना पड़ा हो। अब ट्रिब्यूनल न रहने से सीधे हाईकोर्ट जाना होगा तो फैसला मिलने में काफी समय लग सकता है ।
लिपस्टिक अंडर माय बुर्का जैसी फिल्में ट्रिब्यूनल ने ही पास की थी
फिल्म क्रिटिक मयंक शेखर बताते हैं कि सेंसर बोर्ड के बाद फिल्म मेकर के पास कोई विंडो तो होना चाहिए, जहां वह अपनी बात कह सके, वह सेंसर बोर्ड के बाद सीधे अदालत कैसे जाएगा। फिल्म मेकर्स के लिए यह एक हैरेसमेंट है। मयंक के अनुसार ट्रिब्यूनल ने हमेशा अहम फैसले दिए हैं। लिपस्टिक अंडर माय बुर्का जैसी अनेक फिल्मों के फैसले कम समय में हुए हैं। यह ट्रिब्यूनल, सेंसर बोर्ड के ऑब्जेक्शन के बाद सेंसर बोर्ड की मांग के अनुसार उसमें बदलाव के सुझाव देकर सर्टिफिकेट देता था। उसके पास सर्टिफिकेट देने का अधिकार था, लेकिन अब वह पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। अदालतें अपने 20-20 साल के केस देखेंगी या फिल्में। और, कोर्ट-कचहरी, वकील आदि के लंबे और पेचीदा मामले में कोई उलझना भी नहीं चाहेगा।