कार्तिक पूर्णिमा पर उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, प्रयागराज से लेकर अयोध्या तक भक्तिमय हुआ माहौल

# ## Prayagraj Zone

(www.arya-tv.com) सूर्य उपासना के महीने कार्तिक मास के अंतिम स्नान पर्व कार्तिक पूर्णिमा पर सोमवार को संगम नगरी प्रयागराज में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी और बलुआ घाट के साथ ही अयोध्या में सरयू नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. आस्था की एक डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है. दूर-दूर से आये हजारों श्रद्धालु कालिंदी की धारा में डुबकी लगाने के बाद सूर्य को अर्ध्य दे रहे हैं. भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना कर साल भर अपने परिवार के निरोग रहने की कामना कर रहे हैं. सूरज की पहली किरण निकलने से पहले ही हजारों श्रद्धालु इकट्ठे हो गए थे. कई घाटों पर तो तिल रखने की भी जगह नहीं बची. ग्रह नक्षत्रों के दुर्लभ संयोग की वजह से इस बार कार्तिक पूर्णिमा के स्नान का विशेष महत्व है. वहीं दूसरी ओर इस मौके पर प्रयागराज में श्रद्धालु सत्यनारायण की कथा का श्रवण भी कर रहे हैं. कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर्व का विशेष महत्व भी है.

ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास के आखिरी स्नान पर्व कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान मात्र से ही सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं और पापों से भी मुक्ति मिलती है. इस मौके पर गंगा और यमुना नदियों में श्रद्धालु दीपदान भी करते हैं और कार्तिक पूर्णिमा पर ही देव दीवाली का भी पर्व मनाया जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालु स्नान और पूजा-अर्चना के साथ ही दान-पुण्य भी कर रहे हैं. मान्यताओं के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ था, जबकि सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु ने आज ही के दिन मत्स्यावतार रूप धारण किया था. इस कारण कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और पूजा अर्चना करने वाले को अक्षय पुण्य और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है. इसी वजह से संगम नगरी प्रयागराज में त्रिवेणी की धारा और अयोध्या में सरयू घाट पर स्नान करने वालो की भारी भीड़ उमड़ी हुई है.

अयोध्या सरयू घाट पर पहुंच रहे श्रद्धालु
राम की नगरी अयोध्या की सरयू नदी में श्रद्धालु सुबह से आस्था की डुबकी लगा रहे है. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु घाटों पर पहुंच रहे है. आज दोपहर 3:36 बजे तक कार्तिक पूर्णिमा का स्न्नान चलेगा. प्रशासन ने मेला क्षेत्र को 3 जोन के 15 सेक्टर में बांटा है. श्रद्धालुओं के सुविधा के लिए स्नान घाटों पर पुलिस, एसडीआरएफ और बाढ़ राहत के जवान तैनात किए गए है. अयोध्या में कल्पवास करने वाले लोगों के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण है. आज कल्प वास करने वालों का अनुष्ठान पूरा होगा.

इस मान्यता के अनुसार मनाई जाती दीप दीवाली
ऐसी मान्यता है कि त्रिपुरासुर नाम के दैत्य के आतंक से तीनों लोक भयभीत थे. त्रिपुरासुर ने स्वर्ग लोक पर भी अपना अधिकार जमा लिया था. उसने प्रयाग में काफी दिनों तक तप किया था, जिससे तीनों लोक जलने लगे. तब ब्रह्मा जी ने उसे दर्शन दिए. त्रिपुरासुर ने उनसे वरदान मांगा था कि उसे देवता, स्त्री, पुरुष, जीव, जंतु, पक्षी और निशाचर न मार पाएं. इसी वरदान से त्रिपुरासुर अमर हो गया और देवताओं पर अत्याचार करने लगा, जिसके बाद सभी देवताओं ने मिलकर ब्रह्मा जी से इस दैत्य के अंत का उपाय पूछा. ब्रह्मा जी ने देवताओं को त्रिपुरासुर के अंत का रास्ता बताया. देवता भगवान शंकर के पास पहुंचे और उनसे त्रिपुरासुर को मारने के लिए प्रार्थना की. तब महादेव ने त्रिपुरासुर के वध का निर्णय लिया. महादेव ने तीनों लोकों में दैत्य को ढूंढ़ा. कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने प्रदोष काल में अर्धनारीश्वर के रूप में त्रिपुरासुर का वध किया. उसी दिन देवताओं ने शिवलोक यानि काशी में आकर दीवाली मनाई.

आज के दिन मनाई जाती गुरुनानक जयंती
कार्तिक पूर्णिमा के दिन को सिख धर्म के अनुयायी प्रकाशोत्सव के रूप में भी मनाते हैं. इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक पहले गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. इस दिन सिख पंथ के अनुयायी सुबह स्नान कर गुरुद्वारे में जाकर गुरुवाणी सुनते हैं और नानक जी के बताए रास्ते पर चलने का प्रण भी लेते हैं. इसलिए इस पूर्णिमा को गुरु पर्व भी कहा जाता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम में स्नान के बाद बड़े हनुमान मंदिर में दर्शन पूजन भी कर रहे हैं. संगम समेत प्रयागराज के तमाम घाटों पर आज शाम को देव दीवाली भी धूमधाम से मनाई जाएगी. संगम में जहां आज शाम 11 लाख दिए जलाए जाएंगे. वहीं यमुना के तट बलवा घाट पर भी 51 हजार दियों का दीपदान किया जाएगा.