छत्तीसगढ़ के स्पेशल-9:एवरेस्ट बेस कैंप की 5364 मीटर चढ़ाई पूरी की; 14 साल की चंचल का पैर नहीं

# ## National

(www.arya-tv.com) एवरेस्ट के बेस कैंप की चढ़ाई करने में छत्तीसगढ़ के 9 जांबाजों ने कमाल कर दिखाया। इस टोली में 4 ऐसे हैं, जो दिव्यांग हैं। किसी के पैर नहीं तो किसी को देखने में समस्या आती है। मगर इसके बाद भी उन्होंने मुश्किलों के पहाड़ को हौसले की कुल्हाड़ी के सहारे पार किया।

प्रदेश के इन 9 युवाओं ने 10 दिनों में एवरेस्ट बेस कैंप की 5364 मीटर की चढ़ाई पूरी की। इनमें प्रदेश की पहली ट्रांसवुमन भी शामिल है। इन सभी ने प्रदेश के माउंटेनियर चित्रसेन साहू से इंस्पायर होकर इस मिशन को पूरा किया। चित्रसेन खुद एक ट्रेन हादसे में अपने दोनों पैर गंवा चुके हैं, कृत्रिम पैरों की मदद से पहाड़ों की चढ़ाई करते हैं। इस रिपोर्ट में पढ़िए उनकी प्रेरणा देने वाली कहानी

14 साल की चंचल का जन्म से नहीं है एक पैर

14 साल की चंचल सोनी धमतरी की रहने वाली हैं। इन्होंने एक पैर और बैसाखी के सहारे एवरेस्ट के बेस कैंप की चढ़ाई की है। चंचल 12 साल की उम्र से व्हील चेयर बास्केट बॉल प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हैं। उन्होंने बताया कि ट्रैकिंग के लिए एक साल से पैदल चलने की प्रैक्टिस कर रही हूं। रोज रूद्री से गंगरेल डैम तक यानी लगभग 12 किलोमीटर पैदल चलती थी। कई बार आसपास के जंगल और पहाड़ों पर भी गई। चंचल एक पैर से डांस भी करती हैं।

चंचल ने राजिम कुंभ मेला में 3 साल पहले भाग लिया था। पर्वतारोही और इस टीम के लीडर चित्रसेन को पता चला कि चंचल की रुचि ट्रैकिंग में है। उन्होंने कुछ सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए चंचल के परिजनों के बारे में जानकारी लेकर संपर्क किया। इसके बाद चंचल इस एवरेस्ट बेस कैंप मिशन का हिस्सा बनी और कामयाबी भी हासिल की।

जिसे देखने में तकलीफ उसकी हिम्मत दुनिया देखेगी

21 साल की पैरा जूडो खिलाड़ी रजनी जोशी लो विजन से जूझ रही हैं। उन्होंने बताया- चढ़ाई के दौरान स्नो फॉल हुआ। बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ते वक्त कई बार स्टिक फिसल जाती थी। गिरने का डर बना रहता था। कई बार लड़खड़ाई भी, जैसे-जैसे ऊपर पहुंचते गए ऑक्सीजन कम होती गई, जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत हुई। बर्फबारी के कारण ठंड बहुत लग रही थी। ट्रैकिंग से पहले प्रैक्टिस के मकसद से रोज अपनी साथी चंचल के साथ लगभग 12 किलोमीटर चलती थी। चंचल के साथ रजनी को भी पहाड़ों पर चढ़ना अच्छा लगता था, इसी की वजह से एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचीं।

5364 की ऊंचाई पर ईद की खुशी

36 साल के अनवर अली ने एक कृत्रिम पैर की मदद से चढ़ाई की। उन्होंने बताया कि जीवन में पहली बार ईद घर के बाहर मनाई। खास उपलब्धि बेहद खास दिन मिली। 5364 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद वहां नमाज अदा की। ऊबड़-खाबड़ रास्ते होने के कारण कृत्रिम पैरों में बैलेंस बनाने में बहुत परेशानी हुई। बर्फ में चलने में बहुत दिक्कत हुई। इससे पहले सउदी अरब में मक्का की सबसे ऊंची चोटी पर जा चुका हूं। अनवर अली अब तक 60 से अधिक बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। एक एक्सीडेंट में अनवर का एक पैर कट गया था।