(www.arya-tv.com)रूस-यूक्रेन जंग को आज 30वां दिन है। अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को इस संकट पर ब्रुसेल्स में नाटो समिट को संबोधित किया। बाइडेन ने कहा कि अगर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ जंग में केमिकल वेपन का इस्तेमाल किया तो नाटो जवाब देगा। रूस जिस तरह के हथियारों का इस्तेमाल करेगा, नाटो उसी तरह के हथियारों से उसे जवाब देगा।
इसके साथ ही समिट के बाद बाइडेन ने मीडिया से कहा कि हमने चीन को साफ तौर पर चेताया है कि अगर उसने रूस को मदद दी तो इसके गंभीर आर्थिक परिणाम भुगतने होंगे। हमने उन्हें कोई धमकी तो नहीं दी है, लेकिन चीनी राष्ट्रपति रूस की मदद के परिणाम अच्छे से जानते हैं।
रूस-यूक्रेन जंग में जहां ज्यादातर देश रूस के विरोध में खड़े हैं, वहीं भारत तटस्थ होकर भी रूस के पाले में नजर आ रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और आम सभा में रूस के खिलाफ प्रस्तावों के दौरान भारत अनुपस्थित रहा। रूस की आलोचना तक नहीं की। यही नहीं, रूस से किफायती दर पर क्रूड ऑयल खरीदने का करार भी कर लिया। इससे अमेरिका को झटका लगा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि तीन वजहें हैं, जिसके चलते भारत अमेरिका पर रूस को तरजीह दे रहा है।
पहली वजह ये है कि भारत की भौगोलिक और सामरिक स्थिति में उसके लिए रूस से नजदीकी बनाए रखना हित में है। दूसरी वजह ये कि भारत रूस का बड़ा हथियार खरीदार है। तीसरी वजह ये कि अमेरिका के साथ भारत की घनिष्ठता रूस जैसी नहीं हो सकी है। एनर्जी क्षेत्र में भारत और रूस पहले से ही बड़े सहयोगी हैं।