रूस के साथ रक्षा सामानों के आदान-प्रदान से भारत को होंगे ये फायदे

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भारत जल्द ही रूस के साथ अमेरिका जैसा ही रक्षा सामानों के आदान-प्रदान का समझौता करेगा। भारत और रूस इस समझौते से दोनों देशों के बीच सैन्य प्लेटफार्म सहित अन्य रक्षा सामान का आदान-प्रदान आसानी से हो सकेगा। भारत इस समझौते को करते ही दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा जिसका शीत युद्ध के पुराने दो दुश्मनों के साथ इस तरह का रक्षा समझौता हो। इससे भारतीय सेना विश्व में कहीं भी सैन्य ऑपरेशन को आसानी से अंजाम दे सकेंगी।

रिपोर्ट के अनुसार, इस समझौते को सितंबर के शुरुआत में रूस के व्लादिवोस्तोक में आयोजित ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम कार्यक्रम के दौरान दोनों देश हस्ताक्षरित करेंगे। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भाग लेगें। भारत इससे पहले अपने सबसे बड़े रक्षा सहयोगियों में शामिल अमेरिका के साथ 2016 में और फ्रांस के साथ 2018 में ऐसा ही समझौता कर चुका है।

भारतीय नौसेना को होगा फायदा

इसका सबसे बड़ा फायदा भारतीय नौसेना को होगा। जो अंतरष्ट्रीय ऑपरेशनों के दौरान इनमें से किसी भी देश के साथ अपने युद्धपोतों के लिए ईंधन और अन्य जरुरी सामानों को आसानी से प्राप्त कर सकेगी। इसके अलावा नौसेना को इन देशों के विशेष आर्थिक क्षेत्र में भी जाने की छूट मिल जाएगी।

रक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव जिवेश नंदन के नेतृत्व में एक वरिष्ठ टीम ने जून में मॉस्को की यात्रा के दौरान इस समझौते की शर्तों को अंतिम रूप दिया।