(www.arya-tv.com)कलकत्ता हाईकोर्ट ने भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार के शव के DNA टेस्ट का आदेश दिया है। बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा में बेलियागाठा के अभिजीत सरकार की हत्या कर दी गई थी। आरोप लगाया गया था कि अभिजीत का मर्डर तृणमूल समर्थकों ने किया है। इसके बाद उसके परिवार ने हाईकोर्ट में अपील की है।
हाईकोर्ट में भाजपा वर्कर के परिवार की दलील
अभिजीत के भाई बिस्वजीत सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि अभिजीत का शव क्षत-विक्षत हो गया है और ऐसे में उसकी पहचान बहुत मुश्किल हो गई है। भाई अपने भाई की लाश को नहीं पहचान पा रहा है और वो चाहता है कि DNA टेस्ट किया जाए। वह यह जानना चाहता है कि बॉडी उसके भाई की है या नहीं।
कोर्ट का आदेश- एक हफ्ते में दी जाए रिपोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि कमांड अस्पताल से अभिजीत के सैम्पल इकट्ठा कर कोलकाता की फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में भेजे जाएं। यहां उसका DNA टेस्ट किया जाए और ये रिपोर्ट एक हफ्ते के भीतर कोर्ट को भेजी जाए। अभिजीत के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में भी एक अपील दाखिल की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, तृणमूल सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था।
DNA टेस्ट पर भी कोर्ट में हुआ विवाद
- सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील किशोर दत्ता ने कहा कि जब अभिजीत के सैंपल इकट्ठा किए जा रहे हों, उस वक्त जांच करने वाली पुलिस टीम का मेंबर भी वहां मौजूद होना चाहिए।
- जेठमलानी ने इसका विरोध किया और कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ होगा। सरकार और पुलिस केवल सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद ही तेजी दिखाती है।
- दत्ता ने इस दलील पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल नोटिस जारी किया है। उन्होंने जांच रोकने का आदेश नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट केस ट्रांसफर कर सकती है या नहीं कर सकती है। तब तक राज्य की पुलिस ही इस मामले की जांच कर रही है। ऐसे में सैंपल लेने के दौरान राज्य पुलिस का कोई आदमी वहां मौजूद होना चाहिए।
कोर्ट में पुलिस जांच और डर का जिक्र भी
- दत्ता ने कहा कि अभिजीत के परिवार के बयान दर्ज करने को लेकर 11 बार कोशिश की गई, नोटिस भेजे गए पर उनका बयान नहीं लिया जा सका।
- जेठमलानी ने कहा कि अभिजीत की मां पुलिस से बात करने से डर रही हैं। इसकी वजह ये है कि पहले भी उनके दस्तखत लिए गए और इसका इस्तेमाल किसी और मकसद के लिए किया गया।
हाईकोर्ट ने लगाई थी फटकार
इससे पहले 2 जुलाई को कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना था कि बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा हुई। कोर्ट ने ममता सरकार को गलत ठहराते हुए कहा था कि जब लोग मारे जा रहे थे और नाबालिगों से रेप हो रहा था तो सरकार इसे नकार रही थी और वह गलत थी। हिंसा का खामियाजा भुगतने वाले लोगों के बीच बंगाल सरकार विश्वास का माहौल बनाने में नाकाम रही है।