लखनऊ में निजी ऑपरेटरों को टेंडर दिलाने के लिए गुपचुप तरीके जारी हुआ ई-टेंडर

Lucknow

(www.arya-tv.com)लखनऊ परिवहन विभाग में घूस की रकम के बंदर बांट का खेल बाहर न जाए, इसको लेकर एसी बस टेंडर प्रक्रिया की जांच रिपोर्ट दबा दी। अपने खास एसी बस के निजी ऑपरेटरों को टेंडर दिलाने के लिए मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन ने अपना हिस्सा अधर में देख मनमाफिक ई-टेंडर निकाल दिया। परिवहन विभाग ने विभगीय खेल उजागर न हो इसके लिए कई पैतरे बदले, लेकिन मामला कोर्ट में पहुंचने पर परिवहन विभाग को वजीरगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराना पड़ा।

मामला कोर्ट में पहुंचने पर खुला विभागीय खेल, दर्ज हुआ मुकदमा
विभागीय सूत्रों के मुताबिक वहीं कुछ अधिकारियों ने अपने जानने वाले निजी बस संचालकों की मांग के अनुसार शर्तें तैयार कराई थी। जिसके बाद मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन ने गुपचुप तरीके से अपनों को लाभ पहुंचाने के लिए विभागीय खींचतान के बीच 14 जनवरी 2020 की जगह 9 जनवरी 2020 को ही ई-टेंडर जारी कर दिया। जिसमें 20 दिसंबर 2020 को प्री टेंडर को लेकर हुई बैठक के सुझावों को ई-टेंडर में नहीं जोड़ा गया। जिससे निजी ऑपरेटरों के 39 लग्जरी बसों के 48 करोड़ 75 लाख रुपए भी फंस गए। बस संचालकों के कई शिकायत के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला। उनके कोर्ट में जाने के बाद विभाग ने मुकदमा दर्ज कराया।

जांच में खुलासा होने के बाद भी विभाग ने दबाई रखी 16 महीने फाइल
टेंडर प्रक्रिया में खेल की जानकारी के बाद विभागीय 14 जनवरी 2020 को ही हो गई थी। जिसके बाद मामला तूल पकड़ने पर विभागीय जांच बैठा दी गई। पूर्व अपर प्रबंध निदेशक राधेश्याम ने जांच में पूरी टेंडर प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन पर कार्रवाई की संस्तुति कर दी। विभागीय लोगों ने इससे विभाग की अंदर खाने की बात बाहर जाने के डर से फाइल को दबा दिया। इसी बीच 31 दिसंबर 2020 को आरोपी मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन पीआर बेलवारियर रिटायर हो गए।

कई अधिकारियों व कर्मचारियों का आ सकता है जांच में नाम
हाई एंड वातानुकूलित सिंगल एक्सल अनुबंध योजना 2020 के तहत 39 बसों का संचालन यूपी के विभिन्न मार्गों पर होना था। जिसको लेकर परिवहन विभाग के लोगों ने लाखों के कमीशन बाजी के चलते मनमाफिक टेंडर प्रक्रिया को अपनाया। जिसमें ऊपर से नीचे तक कई अधिकारियों के शामिल होने की बात सामने आई है। इसके ही कारण जांच की फाइल दबी रही। विभाग में चर्चा है कि यदि पुलिस इस केस की तह तक गई तो कई अफसर और कर्मचारी के साथ निजी बस आपरेटर भी कार्यवाई की जद में आ जाएंगे।

यह है मामला
वजीरगंज पुलिस के मुताबिक परिवहन निगम के अनुभाग अधिकारी प्रकाश नारायण ने पीआर बेलवारियार के खिलाफ धारा 409 (लोकसेवक द्वारा उसके प्रभुत्व में होने वाली संपत्ति के विषय में आपराधिक हनन) में मुकदमा दर्ज कराया है। वेलवारियार दिसंबर 2020 में रिटायर हो चुके हैं। अनुभाग अधिकारी प्रकाश नारायण का आरोप है कि परिवहन निगम ने एसी बसों को चलाने के लिए प्रस्ताव तैयार कराया था। जिसके तहत एसी की अनुबंधित बसें चलाने की योजना थी। बसों को अनुबंधित योजना के तहत चलाने के लिए 14 दिसंबर 2019 को विज्ञापन जारी कर दिया गया। साथ ही ईटेंडर पोर्टल पर निविदा अपलोड की गई थी। प्रबंधक संचालन के पद पर तैनात पीआर बेलवारियर शुरू से ही टेंडर प्रक्रिया से जुड़े थे। उन्होंने बिना किसी अधिकारी को जानकारी दिए 9 जनवरी 2020 को गलत तरीके से टेंडर की शर्तों में बदलाव कर दिया। उनके द्वारा नियमों की अनदेखी कर परिवहन विभाग को क्षति पहुंचाए जाने की बात साबित होने पर सरकारी धन की हानि और आपराधिक काम करने का मुकदमा दर्ज कराया गया है।