(www.arya-tv.com)अलीगढ़ में 107 मौतों के बाद जहरीली शराब के कारोबार से एक के बाद एक पर्दा हटता जा रहा है। दिल दहला देने वाली घटना के बाद शासन के अधिकारी खुलकर सच्चाई सामने ला रहे हैं। अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी ने कहा कि पूर्व एसएसपी सत्येंद्र वीर सिंह ने इस जहरीली शराब के कारखाने और उसके संचालकों को अभयदान दिया था। तब से अभी तक सभी डीएम, एसएसपी इसे संरक्षण देते रहे। इतनी मौतें न हुईं होती तो फैक्ट्री चलती रहती।
अलीगढ़ में जहरीली शराब कांड में हुई 107 मौतों के बाद जैसे जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे वैसे राज खुलते जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि शराब माफिया अनिल और सुधीर चौधरी के जिस अवैध फैक्ट्री की जहरीली शराब पीकर 107 लोग मौत की नींद सो गए उसकी नींव को 2011 के तत्कालीन एसएसपी सत्येंद्रवीर सिंह ने मजबूत किया था। 2009 में भी इसी फैक्ट्री की मिथाइल अल्कोहल वाली जहरीली शराब पीकर 7 लोगों की मौत हुई थी। उस वक्त कानपुर के मौजूदा पुलिस कमिश्नर असीम अरुण अलीगढ़ के एसएसपी थे। एसएसपी और आबकारी की जॉइंट टीम ने छापेमारी करके अनिल और सुधीर चौधरी के साथ उनके आधा दर्जन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था।
टीम ने फैक्ट्री का सामान जब्त करके उसे सील कर दिया था। इस मामले में दोनों भाइयों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन राहत नहीं मिली। असीम अरुण के हटने के बाद यहाँ बतौर एसएसपी सत्येंद्रवीर सिंह की पोस्टिंग हुई। उन्होंने 2011 में सुधीर और अनिल के खिलाफ लगी चार्जशीट को कोर्ट से वापस मंगवाया और दोनों का नाम मुकदमें से बाहर कर दिया। इसके बाद दोनों भाइयों ने और मजबूती से इस धंधे में पैर जमा लिया।
मौतों के लिए डीएम और एसएसपी हैं जिम्मेदार
अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी का कहना है कि इंक बनाने और दूसरे केमिकल उत्पाद के नाम पर लिए गए लाइसेंस वाली फैक्ट्रियों में मिथाइल से शराब बनाई जा रही थी। जिले में डीएम ही लाइसेंसिंग अथार्टी होता है और पुलिस ऐसी गतिविधियों पर इंफोर्समेंट की कार्रवाई करती है। किसी लाइसेंसी फैक्ट्री में डीएम या एसएसपी की अनुमति के बिना आबकारी टीम नहीं घुस सकती है। लेकिन जिले स्तर पर आबकारी टीम को इसकी जानकारी थी, जिसकी सूचना उन्हें शासन स्तर पर देनी चाहिए थी। बड़ा सवाल है कि डीएम और एसएसपी ने अबतक कोई कार्रवाई क्यों नही की। इन मौतों के जिम्मेदार यही पुलिस, प्रशासनिक और जिले स्तर के आबकारी अधिकारी हैं।
इथाइल होती तो जमाने तक चलता रहता जहर का कारोबार
अपर मुख्य सचिव का कहना है कि मिथाइल अल्कोहल अधिक घातक होता है। इसकी मात्रा जरा सा बढ़ते ही घटना सामने आ गयी। इसकी जगह इथाइल का प्रयोग हो रहा होता तो लंबे समय तक इस जहर के कारोबार से पर्दा नही हटता।
हिस्सेदारों को भी पुलिस बनाए साजिश का आरोपी
मौतों के बाद पकड़े जा रहे इस जहर के सौदागर उनके नाम उगल रहे जिन्हें कमाई का मोटा हिस्सा देकर इसे बेंच रहे थे। इसमें सत्तासीन मंत्री से लेकर तमाम अधिकारियों नाम भी शामिल हो रहे हैं। अपर मुख्य सचिव का कहना है कि अगर आरोपी किसी का नाम बता रहे तो पुलिस को तत्काल उन्हें भी मुकदमें में 120बी यानी साजिश का आरोपी बनाना चाहिए।