जीनोम स्टडी में सिर्फ 22 सैंपल देने वाले यूपी में डेल्टा वैरिएंट का सबसे ज्यादा 81.8% संक्रमण

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(www.arya-tv.com)कोरोना संक्रमण में कमी जरूर आई है। लेकिन अब भी देश में मिल रहे कुल मामलों में 32% बी.1.617 स्ट्रेन व इसी समूह के यानी डेल्टा वैरिएंट के हैं। किसी वायरस के स्वरूप में बदलाव की पहचान जीनोम सीक्वेंसिंग से की जाती है। देश में 28 मई तक कोरोना वायरस के 21,471 सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग हुई। हालांकि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में इस दौरान केवल 22 सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग हुई।

इनमें सर्वाधिक 81.8% डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित मिले हैं। संक्रमण दर के मामले में गुजरात (77.4%) दूसरे और झारखंड (67.2%) तीसरे पायदान पर है। सबसे ज्यादा सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग में महाराष्ट्र (4407) पहले पायदान पर है। जबकि तमिलनाडु में केवल पांच सैंपलों की जांच हुई हैं। वहीं, नौ राज्य ऐसे भी हैं, जिनमें एक भी सैंपल नहीं लिया गया।

28 मई तक की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश, गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना और दिल्ली जैसे राज्यों में बी.1.617 स्ट्रेन तथा इस समूह के दूसरे वैरिएंट के मामले सबसे ज्यादा देखे गए। कुछ राज्यों में इस स्ट्रेन की दर 50 से 80% तक है। राहत की बात यह है कि स्ट्रेन- बी 1.1.7 अल्फा वैरिएंट में डेढ़ माह में कमी आई है।

देश में 2.80 करोड़ संक्रमित, जीनोम स्टडी सिर्फ 29 हजार की

डेल्टा वैरिएंट से यूरोप, अमेरिका समेत पूरी दुनिया परेशान है। कोरोना वायरस के इस वैरिएंट का संक्रमण इतनी तेजी से फैलता है कि किसी भी इलाके में कोरोना विस्फोट हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जीनोम सीक्वेंसिंग कर इस वायरस से संक्रमित इलाकों की पहचान ही बचाव का उपाय है। मगर देश में अब तक 2.80 करोड़ से ज्यादा संक्रमितों में से 29 हजार की ही जीनोम सीक्वेंसिंग हुई है।

जिन इलाकों में डेल्टा के स्ट्रेन मिलते हैं, वहां राज्याें से जांच बढ़ाने और माइक्रो कन्टेनमेंट जोन बनाकर निगरानी के लिए कहा जाता है। इन इलाकों के पॉजिटिव सैंपल की लगातार जीनोम सीक्वेंसिंग की सलाह दी जाती है। हालांकि ज्यादातर राज्यों में अभी यह हो ही नहीं रहा है।