(www.arya-tv.com)सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच अमेठी और रायबरेली में नई राजनीतिक रस्साकशी शुरू हो गई है। यूपी के इन दो महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्रों में कोविड महामारी के बीच दोनों राजनीतिक दलों की कोशिश है कि वे लोगों के बीच सबसे पहले मदद पहुंचाते और उनका ख्याल रखते नज़र आएं। इस दौरान जहां भाजपा का लक्ष्य हाल की अपनी चुनावी उपलब्धियों के आधार पर खुद को स्थापित करने का है तो वहीं अपनी खोई जमीन वापस पाने को बेकरार है।
यूपी विधानसभा चुनाव अगले साल की शुरुआत में ही प्रस्तावित हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यूपी विधानसभा चुनाव का 2024 के लोकसभा चुनावों पर भी असर होगा। अमेठी और रायबरेली यूपी के दो ऐसे निर्वाचन क्षेत्र हैं जिनका प्रतिनिधित्व दशकों तक कांग्रेस के प्रथम परिवार (गांधी परिवार) के हाथों में रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में आश्चर्यजनक रूप से अमेठी सीट गंवाने के बाद भी कांग्रेस ने रायबरेली में खुद को बनाए रखा जिसे भाजपा अब अपने नए लक्ष्य के तौर पर सेट करने में जुटी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के हाथों 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी अमेठी सीट गंवा दी थी। यह तीसरा मौका था जब पार्टी ने अपने इस गढ़ को गंवा दिया। कांग्रेस अब स्मृति ईरानी पर कोरोना महामारी के दौरान गायब रहने का आरोप लगाते हुए निशाना साध रही है। पार्टी नेता आरोप लगा रहे हैं कि स्मृति तब गायब हैं जब अमेठी को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। इस पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कहा है कि ईरानी न केवल सक्रिय हैं बल्कि लोगों से जुड़ी हुई भी हैं। कोविड हेल्पलाइन्स, राशन, किट पहुंचाकर और अस्पतालों में भर्ती कराकर लोगों की मदद कर रही हैं। अमेठी में पहले ही कोविड टेस्टिंग लैब को मंजूरी दे दी है।
इस लैब के बारे में अधिकारियों का कहना है कि इससे अमेठी के अलावा रायबरेली, सुल्तानपुर और प्रतापगढ़ के लोगों को भी बड़ी राहत मिलेगी। एक समय में इन सारे इलाकों में कांग्रेस काफी प्रभावी थी। मई की शुरुआत में सलोन से भाजपा विधायक दल बहादुर कोरी के कोरोना संक्रमण की वजह से निधन के बाद स्मृति अमेठी आई थीं। सलोन अमेठी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाला विस क्षेत्र है। इस विस क्षेत्र का कुछ हिस्सा रायबरेली में भी पड़ता है जो आज की तारीख में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का इकलौता बुर्ज है। एक भाजपा नेता ने बताया कि स्मृति ईरानी अपने संसदीय क्षेत्र में कोविड के हालात की समीक्षा लगभग रोज करती हैं। एक कोविड रिस्पांस वाट्सएप ग्रुप बना है जिस पर स्मृति ईरानी के अलावा उनके प्रतिनिधि और भाजपा जिलाध्यक्ष विजय गुप्ता और संसदीय सीट के तहत हर विधानसभा क्षेत्र से दो-दो प्रतिनिधि शामिल हैं। असेंबली, निर्वाचन क्षेत्र वार हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।
अब जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सिर्फ नौ महीने बचे हैं, भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए यह कवायद काफी महत्वपूर्ण हो गई है। कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली संसदीय सीट के तहत पड़ने वाली दस में से आठ विधानसभा सीटें गंवा दी थीं। बाकी दो विधायकों का भाजपा की ओर झुकाव देखा जा सकता है। लिहाजा अब कांग्रेस, गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाले इन इलाकों में अपनी खोई राजनीतिक ताकत दोबारा हासिल करने के लिए बेकरार है लेकिन लखनऊ विवि में राजनीति शास्त्र के प्रो.मानुका खन्ना का मानना है कि भाजपा यह सब कुछ इतनी आसानी से नहीं होने देगी। भाजपा की राजनीतिक कब्जेदारी के बावजूद कांग्रेस भी इन क्षेत्रों में पूरी तरह सक्रिय है। इसके नेता गरीबों में राशन किट बांट रहे हैं। एंबुलेंस दौड़ा रहे हैं और सैनिटाइजेशन के इंतजाम भी कर रहे हैं। कांग्रेस जिला इकाई के प्रमुख प्रदीप सिंघल ने कहा कि इन क्षेत्रों से गांधी परिवार का एक पारिवारिक बंधन है। यह बंधन जीत और हार से ऊपर है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने खास तौर पर निर्देश दिया है कि अमेठी में सभी के लिए मदद सुनिश्चित की जाए। वह अमेठी के लिए ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर और सिलेंडर लगातार भेज रहे हैं। इसके साथ ही अमेठी के सभी घरों को सैनिटाइज करने के लिए 10 हजार लीटर हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन जल्द मुहैया कराया जाएगा।
दोनों पार्टिंया रायबरेली में समान रूप से प्रयासरत हैं। यहां भाजपा ने 2019 के लोस चुनाव में भाजपा एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह को सोनिया गांधी के मुकाबले उतारा था। सोनिया ने अपनी पार्टी के पूर्व सदस्य को हरा तो दिया लेकिन अमेठी की जीत ने भाजपा की महात्वाकांक्षा को बढ़ा दिया है। यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने इस हफ्ते की शुरुआत में रायबरेली का दौरा किया था। तब उन्होंने कहा कि जिले में जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट काम करने लगेंगे। उन्होंने कहा ‘हम लोगों का पूरा ख्याल रख रहे हैं। अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन की उपलब्धता से लेकर दवाइयों और राशन किट मुहैया कराने तक।’ कांग्रेस का दावा है कि पार्टी नेतृत्व बिना शोर मचाए लोगों की मदद कर रहा है। ‘यह पता चलने पर कि लोग अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार की बजाए उन्हें नदी के किनारे दफना दे रहे हैं, सोनिया जी ने जिले के तीन श्मशान घाटों के लिए लकड़ियों से भरे तीन ट्रक भेजे।’ बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए उन्होंने अपनी निधि से 1.17 करोड़ रुपए की मदद भी भेजी।