(www.arya-tv.com)दिल्ली में आंतों तक ब्लैक फंगस पहुंचने के दो मामले सामने आए हैं। दोनों मरीजों का इलाज सर गंगाराम हॉस्पिटल में किया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है, ऐसा पहली बार देखा गया है जब ब्लैक फंगस आंतों तक पहुंचा और उसमें छेद कर दिया है। पहले मरीज की उम्र 56 साल है और दूसरा मरीज 68 साल का है।
पहले से कोरोना संक्रमित मरीज में शुरू हुआ था पेट दर्द
अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, 68 साल के मरीज का इलाज करीब एक हफ्ते से चल रहा है। पत्नी के साथ मरीज की भी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उसमें कोरोना के हल्के लक्षण थे। पेट में दर्द होने पर मरीज ने एसिडिटी की दवाएं ली। करीब 3 दिन तक घर पर दवाएं लेने के बाद फायदा न होने पर उसे अस्पताल में भर्ती किया गया।
सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. उषास्त धीर का कहना है, कोरोना के संक्रमित होने के कारण पहले ही मरीज काफी कमजोर था और उसे यहां वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। मरीज का सीटी स्कैन किया। रिपोर्ट में छोटी आंत में छेद मिला। ब्लैक फंगस का शक होने पर तुरंत एंटी-फंगल ट्रीटमेंट दिया गया। मरीज की सर्जरी की गई और आंतों के संक्रमित हिस्से को बायोप्सी के लिए भेजा गया।
कोरोना रिकवरी के बाद दूसरे मरीज में भी पेट दर्द से हुई शुरुआत
वहीं, 56 वर्षीय दूसरा मरीज कोरोना से रिकवर हो चुका था, इसके बाद उसमें पेट दर्द के लक्षण दिखे। मरीज डायबिटीज से भी जूझ रहा था और कोरोना के इलाज के दौरान उसे स्टेरॉयड दिए गए थे। लक्षण दिखने पर तत्काल मरीज का सीटी स्कैन कराया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, पहले मरीज की तरह इस मरीज की भी छोटी आंत में छेद दिखे। बायोप्सी रिपोर्ट में ब्लैक फंगस की पुष्टि हो चुकी है। मरीज के परिवार में पत्नी समेत 3 लोगों की पहले ही कोरोना से मौत हो चुकी है।
दुर्लभ हैं ऐसे मामले
हॉस्पिटल के मुताबिक, आंत में ब्लैक फंगस के ये दोनों मामले दुर्लभ है। इसे इंटेस्टाइनल म्यूकरमायकोसिस कहते हैं। इसकी शुरुआत पेट या आंत से होती है। ऐसे मामले उन मरीजों में दिखते हैं, जिनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है। लेकिन अस्पताल में आए दोनों मामले काफी अलग हैं। दोनों मरीजों को कोविड हुआ और छोटी आंत में ब्लैक फंगस का संक्रमण हुआ।
क्या है ब्लैक फंगस
यह एक फंगल डिजीज है। जो म्यूकरमायोसिस नाम के फंगस से होता है। ये ज्यादातर उन लोगों को होता है, जिन्हें पहले से कोई बीमारी हो या वो ऐसी मेडिसिन ले रहे हों जो इम्यूनिटी को कम करती हो या शरीर के दूसरी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम करती हों।
ये शरीर में कैसे पहुंचता है?
वातावरण में मौजूद ज्यादातर फंगस सांस के जरिए हमारे शरीर में पहुंचते हैं। अगर शरीर में किसी तरह का घाव है या शरीर कहीं जल गया है तो वहां से भी ये इंफेक्शन शरीर में फैल सकता है। अगर शुरुआती दौर में ही इसका पता नहीं लगाया गया तो आंखों की रोशनी जा सकती है या फिर शरीर के जिस हिस्से में ये फंगस फैले हैं, वो हिस्सा सड़ सकता है।
ब्लैक फंगस कहां पाया जाता है?
ये फंगस वातावरण में कहीं भी रह सकता है, खासतौर पर जमीन और सड़ने वाले ऑर्गेनिक मैटर्स में। जैसे पत्तियों, सड़ी लकड़ियों और कम्पोस्ट खाद में यह पाया जाता है।