पीसीओडी, माहवारी की समस्याओं और इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए आयुर्वेदिक तरीके हैं कारगर

Lucknow

(www.arya-tv.com)लखनऊ। पाॅलीसिस्टिक ओवेरियन सिन्ड्रोम या रोग (पीसीओएस/पीसीओडी) महिलाओं के हाॅर्मोन्स से जुड़ी एक आम समस्या है, जो प्रजनन की उम्र में हाॅर्मोन्स के असंतुलन के कारण होती है। हाॅर्मोन्स के असंतुलन के परिणामस्वरूप महिलाओं में कई तरह के लक्षण हो सकते हैं जैसे माहवारी का अनियमित होना, देर से आना, शरीर पर बहुत ज़्यादा बाल, एक्ने या बाल गिरना आदि। ऐसी स्थिति में पाॅलिसिस्टिक ओवरीज़ फाॅलिकल्स नहीं बना पातीं, जिससे अण्डा नियमित रूप से रिलीज़ नहीं होता और गर्भधारण मे मुश्किल आती है। आयुर्वेद डायरीज़ की सीरीज़ के तहत टाटा स्काय फिटनैस पर हेल्थ कोच एवं प्राना हेल्थकेयर सेंटर की संस्थापक डिम्पल जांगड़ा कुछ ऐसे आयुर्वेदिक तरीके लेकर आई हैं जो इस समस्या के समाधान में कारगर हो सकते हैं।

  • आयुर्वेद और इनफर्टिलिटी

इनफर्टिलिटी की समस्या पुरूषों और महिलाओं दोनों में हो सकती है। हालांकि अनियमित मैटाबोलिज़्म इसका एक मुख्य कारण है जिसके परिणामस्वरूप पीसीओएस और ओवेरियन डिसआॅर्डर पीसीओडी हो सकते हैं। कई तरह के आयुर्वेदिक उत्पादों ने इन समस्याओं का इलाज किया जा सकता है।
पुरूष अशोकरिष्ठा, अश्वगंधा, शतावरी और गुग्गुल जैसे पदार्थों का सेवन कर सकते हैं, जिससे उनकी जीवनशक्ति मजबूत होती है और मैटाबोलिज़्म सामान्य होता हैं साथ ही कौंच, मूसली और शिलाजीत जैसी चीज़ें भी पुरूषों में इनफर्टिलिटी के उपचार में कारगर पाई गई हैं।
जिन महिलाओं को इनफर्टिफिलिटी की समस्या है उन्हें अपनी जीवनशैली और खाने-पीने की आदतों में बदलाव लाना चाहिए। उन्हें अपने आहार में डेयरी उत्पादों, मीट, सीफूड, अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे माहवारी से जुड़ी समस्याओं के इलाज में मदद मिलती है।

  • आयुर्वेद और पीसीओडी/पीसीओएस

आजकल हर 7 में से 4 महिलाओं को पीसीओएस या पीसीओडी, इनफर्टिलिटी या माहवारी से जुड़ी समस्याओं की शिकायत रहती है। इन महिलाओं को शाकाहारी आहार अपनाना चाहिए।
अपने आहार में गाजर, शकरकंदी और पालक को भरपूर मात्रा में शामिल करें। हर रात सूप का सेवन करें इससे आपका 28 दिनों का चक्र सामान्य बनाने में मदद मिलेगी। इन पदार्थों के सेवन से खून साफ होता है और गर्भाश्य के नुकसान को ठीक करने में मदद मिलती है।
दाल या सूप में मेथीदाना, अजवायन जैसे मसालों का उपयोग करें, ये महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हैं।
चिया सीड, अलसी के बीज, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज, तिल आदि महिलाओं के लिए सेहतमंद आहार हैं तथा प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं। इसी तरह जीरा और सौंफ उन्हें यूटीआई से सुरक्षित रखने में कारगर पाए गए हैं। धनिये के बीज और अजवायन माहवारी के दौरान होने वाले दर्द में फायदा देते हैं।
फल जैसे अनार और काले अंगूर खून साफ करते हैं, जिससे गर्भाश्य तक ताज़ी आॅक्सीजन पहुंचती है, इससे गर्भाश्य के उतकों, मांसपेशियों एवं तंत्रिकाओं की मरम्मत होती है।

वे सप्तश्यामकासायम या सुखुमरूमकासायम का सेवन 3-4 माह के लिए कर सकती है। ये अव्यव महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए बेहद कारगर पाए गए हैं। इसके अलावा गर्भाश्य और श्रोणि की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए योग एवं व्यायाम करें। कैमल पोज़, बोट पोज़ (नौकासन) और बटरफ्लाई पोज़ उनके लिए अच्छे व्यायाम हैं जो गर्भाश्य की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।