(www.arya-tv.com)कोरोना के संक्रमण काल में बढ़ते मरीजों के बीच डॉक्टरों का अभाव भी देखने को मिला है। यही कारण रहा कि शासन ने वरिष्ठ डॉक्टरों के सहयोग के लिए मेडिकल इंटर्न को टीम में शामिल करने की मंजूरी दी थी। मकसद हर संक्रमित मरीजों को चिकित्सकीय निगरानी प्रदान करना था। लेकिन कुछ निजी मेडिकल कॉलेज शासन के सभी अरमानों को फिलहाल पलीता लगा रहे हैं। ऐसा आरोप राजधानी लखनऊ के एक निजी मेडिकल संस्थान से एमबीबीएस पास आउट छात्रों ने लगाया है। गुरुवार को बड़ी संख्या में इन डॉक्टरों ने संस्थान परिसर में पहुंचकर विरोध भी दर्ज कराया।
66 छात्रों से जुड़ा मामला
दरअसल यह पूरा मामला लखनऊ के बंथरा स्थित प्रसाद हॉस्पिटल ऑफ मेडिकल साइंस से जुड़ा है। साल 2016 में एडमिशन लेकर एमबीबीएस की पढ़ाई शुरु करने वाले पहले बैच के 66 छात्र अप्रैल 2021 में पास हो चुके हैं। छात्रों को इंटर्नशिप व रजिस्ट्रेशन कराने के लिए संस्थान द्वारा अनुमोदन की जरुरत होती है तभी DGME (डायरेक्टर जनरल ऑफ मेडिकल एजुकेशन) कार्यालय द्वारा पंजीकरण किया जाता है। छात्रों का आरोप है कि संस्थान प्रबंधन द्वारा इसके लिए 3 लाख रुपए नकद मांग रहा है, जो सरासर गलत है।
मंत्री सुरेश खन्ना से की शिकायत
एमबीबीएस पास आउट छात्र अजीत यादव ने बताया कि संस्थान द्वारा यह पूरा मामला धन उगाही है। हमने चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना को भी पूरे मामले से अवगत कराया है और उन्ही के कहने पर विभाग के प्रमुख सचिव व डीजीएमई को भी जानकारी दी गई है। इनमें से ज्यादातर छात्र कोरोना संकट के दौर में मरीजों के उपचार के लिए तैयार हैं और सरकार को तत्काल इस मसले पर ठोस कारवाई करते हुए हमें चिकित्सा सेवा मौका उपलब्ध कराना चाहिए।
कोई डिमांड नहीं की गई
प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के प्राचार्य आरआर सुकुल ने बताया कि छात्रों से कोई भी डिमांड नहीं की गई है। सिर्फ उनके रहने व खाने का जो खर्चा है, वह ही उन्हें देना होगा।