(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश में कोरोना को रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू और शनिवार-रविवार को वीकेंड लॉकडाउन लागू है। ऐसे में सब्जियों के दाम अचानक आसमान छूने लगे हैं। लेकिन खास बात यह है कि किसानों से मिट्टी के भाव में सब्जी खरीदकर कई गुना अधिक कीमत पर बेचा जा रहा है। सब्जियों में सबसे बड़ी मुनाफाखोरी थोक मंडियों में हो रही है। इसमें राजधानी सहित प्रदेश की लगभग सभी मंडियां शामिल हैं। सभी थोक मंडियों में दो स्तर पर सब्जी का व्यापार किया जा रहा है। इन्ही दोनों लेयर में ही सब्जी की कीमतों में ‘खेल’ किया जा रहा है। थोक मंडियों में दो स्तर के आढ़ती काम कर रहे हैं।
बड़े व्यापारियों के बाद आढ़ती की लगती हैं बोली
पहला स्तर बडे़ व्यापारियों का है। यह वे लोग हैं जो प्रतिदिन कई ट्रक सब्जियां बाहर से मंगाते हैं। यह अपना माल क्विंटल या टन में मंडी के ही दूसरे स्तर के व्यापारियों को बेचते हैं। दूसरे स्तर के आढ़ती से ही सड़कों और ठेलों पर सब्जी बेचने वाले फुटकर दुकानदार सब्जी खरीदते हैं। पहले आढ़ती से दूसरे आढ़ती तक माल पहुंचते-पहुंचते कीमत लगभग दो गुना तक हो जाती है और फुटकर दुकानदार तक पहुंचते ही कीमत तीन गुना तक बढ़ जाती है। किसान की बात करें तो इस समय उसे टमाटर की कीमत चार रुपए किलो तक ही मिल रही है। जबकि बाजार में पांच गुना अधिक 20 से 25 रुपए में बेचा जा रहा है। किसान को भिंडी की कीमत सात से आठ रुपए किलो तक ही मिल रही है, जबकि बाजार 50 से 60 रुपए में बिक रही है। यही हाल लगभग सभी सब्जियों का है।
इस तरह से होती है सब्जियों में मुनाफाखोरी (मूल्य किलो में)
उत्पाद | थोक मूल्य बड़ा आढ़ती | थोक मूल्य छोटा आढ़ती | फुटकर मूल्य |
नींबू | 50-70 | 100-130 | 180-200 |
संतरा | 70-80 | 120-140 | 150-170 |
आलू | 11-12 | 14-16 | 20-25 |
टमाटर | 5-7 | 8-10 | 20-25 |
प्याज | 8-12 | 18-20 | 20-25 |
भिंडी | 10-15 | 30-35 | 50-60 |
अदरक | 20-25 | 35-40 | 50-60 |
वींस | 10-15 | 32-35 | 50-60 |
घुइयां | 8-10 | 30-35 | 50-60 |
पालक | 8-10 | 16-20 | 25-30 |
करेला | 10-15 | 15-20 | 40-50 |
लौकी-कद्दू | 5-6 | 10-15 | 20-25 |
तरोई | 20-25 | 32-35 | 40-50 |
हरी मिर्च | 10-15 | 20-24 | 60-70 |
खीरा | 5-8 | 10-15 | 25-30 |
सबको मालूम लेकिन रोकटोक नहीं
इस पूरे खेल की जानकारी सभी जिम्म्मेदारो को है, लेकिन कोई नकेल कसने में हाथ नहीं बढ़ाना चाहता है। कीमतों के इस खेल की जानकारी मंडी अधिकारियों से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी है। लेकिन सब्जी के मुनाफाखोरों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। मंड़ी के अधिकारी कहते हैं कि उनसे कार्रवाई करने का अधिकारी ही छीन लिया गया है। प्रशासनिक अधिकारियों के पास इसके लिए फुरसत ही नहीं है।