(www.arya-tv.com)दक्षिण अफ्रीका के दूसरे सबसे बड़े बैंक फर्स्टरैंड बैंक ने भारत में अपना कारोबार बंद करने का ऐलान किया है। हफ्तेभर में यह दूसरा विदेशी बैंक है, जिसने भारत में कारोबार बंद करने का ऐलान किया। इससे पहले अमेरिका के सिटी बैंक ने भी यहां से बिजनेस बंद करने का ऐलान कर चुकी है।
एकमात्र ब्रांच मुंबई में है, 50 स्टाफ की नौकरी पर खतरा
बैंक के भारतीय CEO रोहित वाही ने मुंबई में अपनी एकमात्र ब्रांच को बंद करने का आधिकारिक बयान जारी किया। इससे 50 स्टाफ की नौकरियों खतरे में है। भारत में बैंक की केवल एक ही शाखा है।
2009 में भारत में एंट्री हुई थी
फर्स्टरेंड बैंक को 2009 में भारत में बैंकिंग लाइसेंस मिला था। पहले बैंक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग का कारोबार कर रहा था,बाद में रिटेल कारोबार में भी उतर गया। उसने अपनी पहली और एकमात्र रिटेल और कमर्शियल ब्रांच मुंबई में खोली। 2019 में बैंक ने भारत में अपने 10 साल पूरे किए थे। सालाना रिपोर्ट (2019-20) के मुताबिक बैंक का डिपॉजिट 318 करोड़ रुपए और एडवांसेस 420 करोड़ रुपए थे।फर्स्टरैंड की संपत्ति 118 अरब डॉलर है।
सिटी बैंक ने भी कारोबार बंद करने का फैसला लिया
वहीं, पिछले दिनों सिटी बैंक ने भारत समेत एशिया, यूरोप, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के 13 इमर्जिंग मार्केट्स में अपने रिटेल बैंकिंग बिजनेस से बाहर निकलने का ऐलान किया है। भारत में सिटी बैंक की 35 ब्रांच हैं। कंज्यूमर बैंकिंग बिजनेस में करीब 4 हजार लोग काम करते हैं। भारत में सिटी बैंक की एंट्री 1902 में हुई 1985 में बैंक ने कंज्यूमर बैंकिंग बिजनेस शुरू किया था।
दो दशक में करीब आधा दर्जन विदेशी बैंकों ने कारोबार समेटा
पिछले 20 सालों में भारत से करीब 6 विदेशी बैंकों ने अपने कारोबार बंद कर चुके हैं। इस दौरान बैंकों ने भारत में अपने रिटेल बिजनेस को बढ़ाने के लिए अरबों डॉलर इन्वेस्ट किए, लेकिन सफलता नहीं मिली और अंत में उन्हें अपना कारोबार बेचकर निकलना पड़ा। इसकी शुरुआत ANZ ग्रिंडलेज (Grindlays) से हुई। इसने 2000 में अपना बिजनेस स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक को बेच दिया।
इसी तरह डॉयशे बैंक ने 2011 में अपना क्रेडिट कार्ड बिजनेस इंडसइंड बैंक को बेचा था। ING ने 2014 में अपना भारतीय बिजनेस कोटक के साथ मर्ज कर भारत से कारोबार समेट लिया। RBS ने अपने रिटेल पोर्टफोलियो का हिस्सा RBL को बेच दिया।
क्यों भारत से बाहर जा रहे विदेशी बैंक
ज्यादातर बैंकिंग सेक्टर के जानकार मानते हैं कि विदेशी बैंक विदेशी बैंक भारतीय रेग्युलेटर्स के सख्त रुख से परेशान होते हैं। इसलिए कारोबार बंद कर भारतीय मार्केट से बाहर निकल जाते हैं।