UP-बिहार जाने वाली ट्रेनें फुल, सरकारी बसों का संचालन भी कम

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(www.arya-tv.com)कोरोना महामारी ने एक बार फिर लेबर क्लास (श्रमिकों) में भय का माहौल बना दिया है। लोग वापस अपने गांव-शहर की ओर पलायन करने लगे हैं। हालांकि इस बार राहत की बात बस इतनी है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट चल रहा है। हालांकि इस बार भी बिगड़ते आर्थिक हालातों और आपदा में लोग अपनी जेबें भरने से चूक नहीं रहे। मजबूरी का फायदा उठाकर निजी बस संचालकों ने किराये को 2 से 3 गुना तक बढ़ा दिया है। इसके पीछे कारण रेलवे की ओर से सीमित संख्या में ट्रेनें संचालित करना और सीटों की लंबी वेटिंग होना है।

राजस्थान रोडवेज की बात करें तो जयपुर से दिल्ली, आगरा, कोटा, अजमेर और सीकर रूट जनवरी-फरवरी में करीब 1300 बसों का संचालन होता था, लेकिन अब ये घटकर 700 से भी कम रह गया है। इधर यूपी रोडवेज की बसों का संचालन भी पहले की तुलना में 50 फीसदी ही रह गया है।

जयपुर-लखनऊ तक साधारण बस में 1600 रुपए किराया

जयपुर से यूपी-बिहार जाने वाले लोगों की भीड़ सबसे ज्यादा है। इसमें अधिकांश श्रमिक ही हैं, जो वापस लौट रहे हैं। जयपुर से इलाहाबाद, सियालदह और वाराणसी के लिए डेली ट्रेन हैं। इसके अलावा कोलकाता, पटना, राजेन्द्र नगर, कामाख्या और हावड़ा के लिए सप्ताह में एक या दो दिन ट्रेनों का संचालन होता है। ऐसे में इन ट्रेनों में 100-150 की वेटिंग चल रही है। इसे देखते हुए मजबूरन लोग बसों से सफर कर रहे हैं। जयपुर से लखनऊ, कानपुर के लिए प्राइवेट बसे चल रही हैं, लेकिन इनमें किराया 1300 से लेकर 1600 रुपए तक लिया जा रहा है। सामान्य दिनों में जयपुर-लखनऊ का किराया साधारण बस में 500-600 रुपए के बीच लगता है।

ट्रेनें नहीं मिलने के कारण जयपुर होकर गुजर रहे हैं

बिहार के रहने वाले एक 28 साल के दीपक ने बताया कि वह सूरत में पेंट के कारखाने में काम करता है। वहां से बिहार के लिए सीधी ट्रेन में सीट नहीं मिली। किसी ने कहा जयपुर आकर यहां से बस या ट्रेन आसानी से मिल जाएगी। इसलिए मुंबई से आने वाली ट्रेन से जयपुर पहुंचा, लेकिन यहां भी देखा तो बिहार जाने वाली ट्रेन की टिकट ही उपलब्ध नहीं है। ऐसे में अब लखनऊ के लिए 1500 रुपए का टिकट प्राइवेट बस से लिया है, जो देर शाम 5 बजे चलेगी।

लॉकडाउन लगा तो पहले की तरह भूखे-प्यासे पैदल चलना न पड़े इसलिए गांव जा रहा हूं

वहीं उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी आशीष ने बताया कि वह जयपुर के कालाडेरा में एक फैक्ट्री में काम करता है। कोरोना बढ़ने के बाद फैक्ट्री में काम कम हो गया। लोग कर रहे हैं कि जल्द ही पहले की तरह लॉकडाउन लगने वाला है। फैक्ट्री में काम कम हो गया, ऐसे में लोगों को सेठ ज्यादा दिनों तक नहीं रखेगा। इसलिए अब वापस गांव जा रहे हैं, अगर पहले की तरह लॉकडाउन लग गया तो भूखे रहने की नौबत आ जाएगी। इससे अच्छा ये है कि अभी गाड़ियां चल रही हैं तो वापस लौट जाए, वरना क्या पता पहले की तरह पैदल चलने जैसी नौबत आ जाए।