फ्रेंच एम्बेसेडर को निकालने के लिए संसद में प्रस्ताव लाई पाकिस्तान सरकार, कट्टरपंथी संगठन का चीफ भी रिहा

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(www.arya-tv.com)सात दिन तक देश और विदेश में जिल्लत झेलने के बाद इमरान खान सरकार ने कट्टरपंथी संगठन तहरीए-ए-लब्बैक पाकिस्तान यानी TLP के सामने सरेंडर कर दिया है। सरकार ने मंगलवार को संसद में एक प्रस्ताव पेश किया। इसमें कहा गया है कि फ्रांस के राजदूत को निकालने की TLP की मांग पर शुक्रवार को बहस शुरू होगी। पाकिस्तानी मीडिया ने मंगलवार को यह भी बताया कि TLP के चीफ साद रिजवी को भी चुपचाप रिहा कर दिया गया है।

कुछ महीने पहले फ्रांस में पैगम्बर मोहम्मद साहब का कार्टून बनाया गया था। इसका मुस्लिम देशों में काफी विरोध हुआ था। तब से TLP मांग कर रही है कि फ्रांस से सभी डिप्लोमैटिक रिलेशन खत्म किए जाएं और उसके एम्बेसेडर को इमरान सरकार देश से निकाले। इसी मांग को लेकर 7 दिन से पाकिस्तान में सिविल वॉर जैसे हालात बने हुए थे।

समझौता बना गले की हड्डी
फरवरी में ही TLP ने आंदोलन की चेतावनी दी थी। तब इमरान सरकार ने इस संगठन से लिखित समझौता किया था। इसमें सरकार ने कहा था कि वो फ्रेंच एम्बेसेडर को निकालने की मांग पर 20 अप्रैल तक संसद में प्रस्ताव लाएगी। 11 अप्रैल को सरकार वादे से मुकर गई। ताकतवर TLP ने मुल्क बंद करने की धमकी दी तो उसके चीफ साद रिजवी को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद पूरे देश में हिंसा हुई। मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी गई और इंटरनेट बंद कर दिया गया। हिंसा में 4 पुलिसवालों समेत कुल 11 लोग मारे गए। तालिबान और दूसरे आतंकी संगठनों ने TLP को समर्थन देने का ऐलान किया तो सरकार की सांसें फूल गईं।

बैन संगठन से बातचीत
पाकिस्तान सरकार ने पिछले हफ्ते ही TLP को आतंकी संगठन बताते हुए इसे बैन कर दिया था। फिलहाल, बैन तो नहीं हटाया गया, लेकिन बातचीत की शुरुआत हो गई है। इसके बाद ही मंगलवार को होम मिनिस्टर शेख रशीद ने संसद में प्रस्ताव लाने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि TLP मेंबर्स पर लगे सभी केस वापस लिए जाएंगे। इमरान ने भी सोमवार रात मुल्क के नाम पैगाम दिया था। कहा था- फ्रेंच एम्बेसेडर को निकालने के गंभीर नतीजे होंगे। उन्होंने भारत पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था। साथ ही ये भी कहा था कि TLP और सरकार का लक्ष्य एक, लेकिन तरीके अलग हैं।

आगे क्या होगा?
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, इमरान सरकार नाक बचाने और मामले को टालने के लिए संसद में बहस का प्रस्ताव ला रही है। इमरान खुद कह चुके हैं कि अगर फ्रेंच एम्बेसेडर को निकाला तो पूरी यूरोपीय यूनियन और पश्चिमी देश पाकिस्तान के खिलाफ हो जाएंगे। ऐसे में पाकिस्तान का वजूद ही खतरे में पढ़ जाएगा। FATF भी पाकिस्तान को ग्रे से ब्लैक लिस्ट में डाल सकता है। मुस्लिम देश भी उसका साथ देने के लिए तैयार नहीं हैं।