(www.arya-tv.com)समाज गंजे लोगों को किस नजरिए से देखता है, इसे समझने के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अमेरिका में 2 हजार से अधिक लोगों पर ऑनलाइन सर्वे किया गया। सर्वे में सामने आया कि समाज गंजे लोगों को गंदा, बदसूरत और नासमझ मानता है। हर 6 में से एक इंसान गंजेपन से जूझने वाले शख्स से बात करने में झिझक महसूस करता है। सर्वे के आंकड़े कहते हैं, 6.2% लोग गंजे इंसान को जॉब देने में भी सहज महसूस नहीं करते।
गंजे होने की वजह क्या है
गंजापन एक बीमारी है, जिसे विज्ञान की भाषा में एलोपेशिया कहते हैं। यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है। जिसमें शरीर को रोगों से बचाने वाला इम्यून सिस्टम ही हेयर फॉलिकल्स पर अटैक कर करने लगता है। बाल तेजी से गिरने लगते हैं और इंसान गंजा हो जाता है। एलोपेशिया का अब तक कोई सटीक इलाज नहीं खोजा जा सका है।
एक्सपर्ट कहते हैं, गंजेपन की कई वजह हो सकती हैं। इसमें फैमिली हिस्ट्री, हार्मोन मेंं बदलाव, पोषक तत्वों की कमी, तनाव में रहना जैसी वजह शामिल हैं। इसके अलावा केमिकल वाले हेयर प्रोडक्ट का अधिक इस्तेमाल करना, बार-बार शैम्पू-ऑयल बदलना और हेयर ऑयल न लगाने को भी गंजेपन की वजह बताया गया है।
सर्वे में लोगों ने क्या कहा?
30% लोगों ने कहा, गंजे लोग बीमार हो सकते हैं। 27% का मानना था कि ये बदसूरत हैं। वहीं, 10% का कहना था, ये संक्रमित हैं। 4% लोग इन्हें नासमझ और अन्य 4% इनको गंदा समझते हैं।
गंजा होना संक्रमित होना नहीं है
ब्रिटेन की साइकोलॉजिस्ट डॉ. केरी मॉन्टगोमेरी कहती हैं, एलोपेशिया के मरीजों से हम कई बार यह सुन चुके हैं कि लोग उनसे कितना भेदभाव करते हैं। उन्हें घूरकर देखते हैं। उनसे सवाल करते हैं और उन्हें परेशान करने वाले कमेंट करते हैं।
डॉ. केरी कहती हैं, ऐसे लोग बाहर निकलने और समाज में घुलने-मिलने से बचते हैं। सर्वे बताता है कि गंजे लोग किस तरह के भेदभाव से जूझते हैं। लोगों में एक भ्रम है कि गंजे लोग संक्रमित बीमारी से जूझ रहे हैं, जबकि यह पूरी तरह से गलत है।