साहित्य महोत्सव का हुआ आगाज, रामनाईक ने किया उद्घाटन

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शब्द हमें जोड़ता भी है शब्द हमें तोडता भी है और शब्द ही एक ऐसा गुण है जो हमें जानवरों से उच्च दर्शाता है इसी कथन के साथ माननीय राज्यपाल राम नाईक जी ने साहित्य महोत्सव में अपने शब्दों की समा बाँधी। राष्ट्रीय साहित्य को बनाये रखने के लिए शब्दरंग 2018 ने सिनेमा जगत के कई कलाकारों को एक मंच पर इकठ्ठा किया। जिसमें न केवल साहित्यिक ही नहीं बल्कि सिनेमा, मीडिया जगत की हस्तियों ने भी बढ़चढ़ के हिस्सा लिया।

भाषा संस्थान, थिंक इंडिया और राष्ट्रीय कला मंच द्वारा तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजित शब्दरंग सहित्य महोत्सव का आगाज सोमवार को लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया।

इस साहित्य सामरोह का उद्घाटन प्रदेश के राज्यपाल रामनाईक ने किया। जिसमें अर्याकुल ग्रुप ऑफ कॉलेज, बाबा साहेब भीम आंबेडकर विश्वविद्यालय , मोर्डेन गर्ल्स कॉलेज व लखनऊ प्रोफेशनल कॉलेज के पत्रकारिता एवं जनसंचार के छात्र-छात्रों ने समारोह में भाग लिया।

राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि चार संस्थाओं ने एक साहित्य महोत्सव की रचना की है। यह बहुत अच्छा लगा। कहा कि साहित्य और समाज का मेल बिल्कुल आत्मा और शरीर जैसा है। समाज अच्छा होता है तो साहित्य भी अच्छा होता है। साहित्य से समाज का बहुत बड़ा रिश्ता है।

हिन्दी साहित्य की ओर देंखे तो हर काल में जो साहित्य गढ़ा गया है। वह दर्पण है। 1857 की क्रांति को अंग्रेज उसे विद्रोह कहते थे। वीर सावरकर ने उसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया है। फिर उसका मतलब बदल गया। शब्दों का बहुत बड़ा महत्व होता है।

शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं हैं लड़कियां
रामनाईक ने कहा कि हिन्दी अपनी राष्ट्र भाषा है। हिन्दी सबकी बड़ी बहन है। 26 विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह हो गए हैं। लड़कों से अधिक लड़कियां शिक्षा ले रही हैं। एक साल में लड़कियों का प्रतिशत बढ़ना बहुत बड़ी बात है। 66 प्रतिशत पदक भी लड़कियों को मिले हैं।

केरल की घटनाओं से दहल उठी —अद्वैता काला
प्रसिद्ध कहानी लेखिका अद्वैता काला ने कहा कि केरल की घटनाओं ने मुझे झकजोर दिया। केरल काफी शिक्षित राज्य है। वहां जो मार काट हो रही है, उसकी तुलना सीरिया से होनी चाहिए। कहा कि वहां पर 40 वर्षों से घटनाएं हो रही थी, उसके बारे में कुछ नहीं लिखा गया। निष्पक्षता होना जरूरी है। इस पर युवाओं का फोकस होना अनिवार्य.

समाज बदलने में सिनेमा का बड़ा योगदान
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के पत्रकार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गोविन्द जी पाण्डेय ने छात्र और छात्राओं को सिनेमा की बारीकियों से अवगत कराया .