(www.arya-tv.cm)आम्रपाली ग्रुप्स ऑफ कम्पनीज के चीफ फाइनेंस ऑफिसर चंद्र प्रकाश बाधवा को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में अदालत ने चार दिन के लिए ED की कस्टडी में सौंपने का आदेश दिया है। इसकी कस्टडी रिमांड की अवधि शनिवार की शाम से शुरू हो गई। उन्होंने यह आदेश ईडी की अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है। इससे पहले अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में लिया गया। बीते शुक्रवार को ईडी ने इसे दिल्ली से गिरफ्तार किया था।
ED के विशेष वकील कुलदीप श्रीवास्तव ने एक अर्जी पेश कर अभियुक्त का सात दिन के लिए पुलिस कस्टडी रिमांड मांगा। उनका कहना था कि अभियुक्त ने चार फर्जी कम्पनी नीलकंठ बिल्ड क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड, रुद्राक्ष इन्फ्रा सिटी प्राइवेट लिमिटेड व मन्नत बिल्ड क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के जरिए फ्लैट खरीदारों का पैसा विदेशों में जेपी मार्गन कम्पनी के खाते में भेजा था।
आम्रपाली की 140 करोड़ की सम्पत्ति हो चुकी है जब्त
ईडी ने इस कम्पनी की भी 140 करोड़ की सम्पति जब्त की है। वकील कुलदीप का कहना था कि अभियुक्त ने फ्लैट खरीदारों का अन्य रकम और किस कम्पनियों में लगाया है, इस संदर्भ में उससे पूछताछ करनी है। साथ ही इसका अन्य अभियुक्तों से भी सामना कराना है।
ईडी इस मामले में आम्रपाली ग्रुप्स ऑफ कम्पनीज के निदेशक अनिल कुमार शर्मा, शिव प्रिया व अजय कुमार के साथ ही ऑडिटर अनिल मित्तल को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। आम्रपाली ग्रुप्स ऑफ कम्पनीज के इन अफसरों पर नोएडा व ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों से साठगांठ कर फ्लैट खरीदारों का करीब छह हजार करोड़ रुपया हड़पने व उससे अपनी सम्पति बनाने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ईडी इस मामले की जांच कर रही है।
क्या है मामला
23 जुलाई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को इस मामले को दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया था। साथ ही ईडी को हर तीन माह पर जांच रिपोर्ट भी दाखिल करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले फ्लैट खरीदारों की याचिका पर इस मामले की फोरेंसिंक आडिट कराई थी। जिसमें आम्रपाली ग्रुप्स ऑफ कम्पनीज के निदेशकों को फ्लैट खरीदारों की रकम में हेरफेर का दोषी पाया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पाया कि आम्रपाली ग्रुप्स की कम्पनियों ने प्रथम दृष्टया फेमा व मनी लॉन्ड्रिंग के तहत अपराध कारित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आडिट रिपोर्ट के आधार पर आम्रपाली ग्रुप्स ऑफ कम्पनीज का रेरा मे रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया था और इस ग्रुप्स के सभी अधिकार एबीसीसी को सौंप दिए थे।
उधर, दूसरी तरफ दिल्ली में इन निदेशकों के खिलाफ कई फ्लैट खरीदारों ने एफआईआर भी दर्ज कराए थे। विवेचना के दौरान इन अफसरों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था।