(Arya TV lucknow):Praveen
FIR क्या होता है:
फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन रिपोर्ट(FIR), पुलिस द्वारा लिखित में तैयार की गयी एक रिपोर्ट होती हैं जिसमें पीड़ित पर हुए किसी दंडनीय अपराध का ब्यौरा होता है. ध्यान दे ये FIR रिपोर्ट इसलिए भी महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि FIR दर्ज होने के बाद पुलिस उस अपराध के छानबीन एवं समाधान के प्रति प्रतिबद्ध हो जाते हैं.
FIR से जुड़े आपके अधिकार:
FIR एक शिकायत होती है जो किसी व्यक्ति/समूह के मूल अधिकारों के हनन पर उपरोक्त थाने में दर्ज करायी जा सकती हैं.
- FIR, पीड़ित या फिर पीड़ित के किसी भी जानकर या फिर किसी भी अन्य व्यक्ति द्वारा दर्ज करायी जा सकती हैं एवं पुलिस कर्मी किसी भी रूप में आपके शिकायतों को सुनने एवं उसे दर्ज करने से मना नहीं कर सकते.
- आप अपने शिकायतों को लिखित या मौखिक में भी दर्ज करा सकते हैं. ध्यान दे मौखिक में दर्ज करायी गयी FIR को आप पुलिसकर्मी द्वारा सुनाने का भी अनुरोध कर सकते हैं.
- अपने द्वारा दर्ज शिकायतों को पूरी तरह सुनने एवं पढने के बाद ही आप FIR रिपोर्ट में हस्ताक्षर करे. इस कार्य में कोई भी आप पर दबाव नहीं डाल सकता.
- ध्यान दे आपके द्वारा दर्ज की गयी FIR ही कानू-व्यवस्था की नींव होती हैं अतः FIR दर्ज करते वक़्त सही एवं सटीक जानकारियां देना अपनी ज़िम्मेदारी समझे.
ZERO FIR क्या होता हैं:
जीरो एफआईआर उसे कहते हैं, जब कोई महिला उसके विरुद्ध हुए संज्ञेय अपराध के बारे में घटनास्थल से बाहर के पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाए। इसमें घटना की अपराध संख्या दर्ज नहीं की जाती। हमारे देश की न्याय व्यवस्था के अनुसार, संज्ञेय अपराध होने की दशा में घटना की एफआईआर किसी भी जिले में दर्ज कराई जा सकती है। चूंकि यह मुकदमा घटना वाले स्थान पर दर्ज नहीं होता, इसलिए तत्काल इसका नंबर नहीं दिया जाता, लेकिन जब उसे घटना वाले स्थान पर स्थानांतरित किया जाता है, तब अपराध संख्या दर्ज कर ली जाती है।
ZERO FIR का उपयोग:
हत्या, रेप एवं एक्सीडेंट्स जैसे अपराध जगह देखकर नहीं होती या फिर ऐसे केसेस में ये भी हो सकता है कि अपराध किसी उपरोक्त थाने की सीमा में न घटित हो. ऐसे केसेस में तुरंत कार्यवाही की मांग होती है परन्तु बिना FIR के कानून एक कदम भी आगे नहीं चल पाने में बाध्य होती हैं. अतः ऐसे मौको में मात्र कुछ आई-विटनेस एवं सम्बंधित जानकारियों के साथ आप इसकी शिकायत नजदीकी पुलिस स्टेशन में करवा सकते हैं. ध्यान रहे लिखित कंप्लेंट करते वक़्त FIR की कॉपी में हस्ताक्षर कर एक कॉपी अपने पास रखना न भूले.
ये ज्ञात हो की FIR दर्ज कर कानूनी प्रक्रिया को आगे बढाने की सारी ज़िम्मेदारी पुलिसवालो का प्रधान उद्देश्य होती हैं अतः कोई भी पुलिस वाला सिर्फ ये कहकर आपका FIR लिखने से मना नहीं कर सकता कि “ ये मामला हमारे सीमा से बाहर का है”
कैसे करे ZERO FIR:
सामान्य FIR के तरह ही zero FIR भी लिखित या मौखिक में करवाई जा सकती हैं. यदि आप चाहे तो पुलिस वाले से रिपोर्ट को पढने का भी अनुरोध कर सकते हैं. ध्यान दे की FIR लिखने के बाद पुलिस अबिलम्ब उस केस के छानबीन में जुट जाये.
याद रखे की विषम परिस्थितयों में आपके द्वारा दिखाई गयी सूझ-बुझ एवं जागरूकता ही आपको विषम परिस्थितयों से उबार सकती हैं. अतः हमारी आप सभी से ये ही गुजारिश हैं की सुरक्षित रहे, जागरूक रहे एवं लोगो को भी जागरूक करते रहे. ज्ञात रहे की आपके द्वारा दिखाई जागरूकता एक विकसित समाज की स्थापना करने में हमारी काफी मदद कर सकती हैं.