नई दिल्ली। तब्लीगी जमात क्या है? मुजफ्फरनगर के ब्यास कंदालवी ने 100 साल पहले इसकी स्थापना की थी। इसका दावा है 105 देशों में इसकी शाखाएं हैं और 35 करोड़ लोग इसके अनुयायी हैं। साधारणतया इसे मुस्लिम और मीडिया विमर्श में सुधार आंदोलन कहा जाता है। पर इस ‘सुधार आंदोलन’ का मतलब मुसलमानों में आधुनिकता, दूसरे धर्मो के साथ भाईचारा पैदा करना और वैज्ञानिक दृष्टिकोण लाना कतई नहीं है।
यह मुसलमानों को पक्का मुसलमान बनाने का आंदोलन है। अर्थात जो मुसलमान अभी भी भौगोलिक सांस्कृतिक और सामुदायिक प्रभाव के कारण उन परंपराओं रीति रिवाजों को मानते हैं जो उस क्षेत्र या लोगो में सदियों से प्रचलित है उससे मुसलमानों को पूरी तरह अलग करना।
उन्हें सांस्कृतिक और सामुदायिक जीवन (जिसमें सभी प्रकार के मतो के लोग सम्मिलित रूप से रहते हैं) से पूरी तरह काटना। विभिन्न धर्मो के धार्मिक कार्यों त्योहारों में परस्पर सहयोग और भाईचारा को वे इस्लामिक शुद्धता पर हमला मानते हैं। पंथ निरपेक्ष समाज में इनकी उपस्थिति कितनी जरूरी है आप सोचिए!
डॉ अतुल मोहन जी की फेसबुक वाल से।