कोरोना वायरस से दुनियाभर में 5000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, करीब सवा लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। भारत में भी इसकी वजह से दो मौतें हो चुकी है। चिंता की बात यह है कि अबतक इसकी दवा या कोई वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है। इस बीच कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों पर एचआईवी (Human Immunodeficiency Virus) की दवाओं का पॉजिटिव असर होने की खबर है। इसके बाद केंद्र सरकार ने फॉर्मा कंपनियों से इन दवाओं का निर्माण बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। आइए जानते हैं कि वे दवाएं कौन-सी है, इसपर अधिकारियों का क्या कहना है, ये दवाएं कितनी कारगर है और इस बारे में हुई रिसर्च क्या कहती है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करने में अभी लंबा समय लग सकता है। इस बीच इस बात के संकेत मिले हैं कि एचाईवी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा लोपिनाविर(Lopinavir) और रिटोनाविर(Ritonavir) कोरोना से संक्रमित मरीजों पर कारगर साबित हो रही है।
लोपिनाविर और रिटोनाविर दोनों दवाएं एंटी रेट्रोवायरल है, जो कि एचआईवी को मानव शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं में घुसने से रोकती है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के अनुसार, बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा कंपनियों के साथ लंबी बैठक में फॉर्मा कंपनियों को दोनों दवाओं का प्रॉडक्शन बढ़ाने को कहा है। हालांकि पैरासिटामोल की तरह इसके एक्सपोर्ट पर किसी तरह की पाबंदी फिलहाल नहीं लगाई गई है। भारत अफ्रीकी देशों को इन दोनों दवाओं का निर्यात करता है।
एचआईवी की इन दवाओं का कोरोना के मरीज पर अच्छा असर हुआ। इटली से भारत आए दंपती के इलाज में लोपिनाविर और रिटोनाविर कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया गया। यह दंपती राजस्थान के जयपुर में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव के मुताबिक दंपती की सहमति लेकर दोनों दवाएं दी गई, जिसका इसका असर अच्छा हुआ। 14 दिनों बाद दोनों लगभग स्वस्थ हैं।
लैंसेट जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक कोविड-19 के इलाज के लिए एंटीवायरल दवाइयों के इस्तेमाल से मरीज की दशा में सुधार तो दिखने लगता है लेकिन वायरस के कमजोर होने के लक्षण नजर नहीं आते हैं। कोविड-19 के लिए इस्तेमाल की जा रही लोपिनावायर या राइटोनावायर जैसी दवाएं वायरस की संक्रमण पैलाने की शक्ति को उस तरह से कम नहीं कर पा रही हैं। इन दवाओं को विशेषज्ञ संक्रमण को रोकने के लिए संभावित तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।
मेडिकल जर्नल लैंसेट के मुताबिक चीन में इस बात पर गहन अध्ययन हो रहा है कि एंटी एचआईवी दवाएं कोरोना वायरस से निबटने में कितनी प्रभावी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामिनाथन के मुताबिक अगले कुछ दिनों में फाइनल रिजल्ट आ जाएगा। फिलहाल, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने आईसीएमआर को इस बात की इजाजत दी है कि कोरोना के इलाज में एंटी एचआईवी दवाइयों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
