(arya tv 11 feb)आज लखनऊ में आयोजित हाफ मैराथन में विभिन्न जगहों से आये दौड़ प्रेमियों ने बड़ी संख्या में 1090 चैराहे पर आयोजित हाफ मैराथन प्रतियोगिता में मन से भाग लिया इसी मैराथन दौड़ में लखनऊ के बिजनौर स्थित आर्यकुल ग्रुप आॅफ कालेज से 600 से अधिक संख्या में कालेज स्टाफ सहित छात्र-छात्राओं ने गर्मजोशी से हिस्सा लिया। जिसकी प्रशंसा करते मैराथन के मुख्यिा अभिषेक मिश्रा ने मंच से कहा कि मैं आर्यकुल कालेज का इस प्रतियोगिता में सबसे अधिक संख्या में भाग लेने के लिए प्रबंध निदेशक सशक्त सिंह को धन्यवाद देता हॅू। श्री सशक्त सिंह ने कालेज के बच्चों को सुबह समय से आकर प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए बधाई दी और कहा कि जीवन में दौड़ का महत्व समझना बहुत जरूरी है यह प्रतियोगिता के दृष्किोण से शरीर के लिए बेहतर तो है ही इसके साथ ही जीवन में सफलता के लिए हमेशा दौड़ के लिए तैयार रहना चाहिए।
इस प्रतिस्पर्धा के युग में हम जब तक तेज दौड़ना नहीं सीखेंगे तब तक आगे नहीं निकल सकते हैं। उन्होंने कहा कि दौड़ का नाम ही जिन्दगी है जिसने दौड़ना सीख लिया उसको कोई भी हरा नहीं सकता है। इसके साथ ही उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को इस प्रतियोगिता के लिए जागरूक करने के लिए प्रबंधतंत्र की सराहना की है। जिनके बल पर हमें पूर्व की भांति इस वर्ष भी सबसे अधिक संख्या में भाग लेने के लिए मेडल प्राप्त हुआ। श्री सिंह ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि विकास के मामले में जीवन की रफ्तार बहुत तेज गति से चल रही है। इस गति को पकड़ने के लिए हमें उसके बराबर दौड़ने की जरूरत पड़ती है। यही नहीं स्पीड को कायम रखने के लिए जरूरी है कि हमें वैज्ञानिक सोच के साथ ही जीवन में आगे बढ़ना होगा। लेकिन इससे पहले तर्कसंगत होना भी बेहद जरूरी है। हमारे जीवन के हिस्से में तर्कसंगतता का होना बेहद जरूरी है। क्योंकि इस पर ही वैज्ञानिक जीवन की आस टिकी होती है। या यूं कहें की यह वैज्ञानिक जीवन की एक महत्वपूर्ण कड़ी में से एक है। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती। हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए तर्क संगत होने के साथ वैज्ञानिक सोच को अपनाना होगा। इसके लिए जीवन में दौड़ बहुत जरूरी है। दौड़ने से मन,मस्तिष्क दोनों बेहतर होते हैं।
इसी कड़ी में पत्रकारिता एवं शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष सुश्री अंकिता अग्रवाल जी का कहना है कि अधिकतर बीमारियों की उपज थकावट और तनाव है. कामकाजी महिलाओं को इन दोनों ही स्थितियों से गुजरना पड़ता है, क्योंकि उन पर दफ्तर और घर दोनों की जिम्मेदारियों का बोझ होता है. इस चक्कर में उन के लिए अपने लिए समय निकाल पाना बेहद मुश्किल होता है. फिर भी पूरे दिन में 30 मिनट खुद के लिए हलकीफुलकी सैर करना मानसिक तनाव को कम करती है और शारीरिक ऊर्जा बढ़ाती है।
बच्चों को दौड़ का महत्व बताते हुए एच.आर. हेड सुश्री नेहा वर्मा ने कहा कि दौड़ से कभी भी भागना नहीं चाहिए क्योंकि मंजिल तक पहुंचने के लिए दौड़ बहुत जरूरी है।
इस अवसर पर आर्यकुल के कुलसचिव श्री सुदेश तिवारी ने कहा कि मुझे बच्चों का यह उत्साह देख कर बहुत खुशी है कि इतनी बड़ी संख्या में उन्होेंने इस प्रतियोगिता में भाग लिया।
आर्य टीवी उ.प्र.
ब्यूरो चीफ
हर्ष नारायण