अधिवक्ता शिशिर त्रिपाठी की हत्या, तस्करी और वसूली का विरोध करना पड़ा महंगा

Lucknow UP

लखनऊ।(www.arya-tv.com) कृष्णानगर में अधिवक्ता शिशिर त्रिपाठी की हत्या के पीछे गांजा तस्करी का विरोध करने की बात सामने आ रही है। शिशिर को तस्करी और वसूली का विरोध करना महंगा पड़ा, जिसकी वजह से उन्हें जान गवांनी पड़ी। खास बात ये है कि पुलिस को पूरी बात मालूम थी बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की गई। आरोप है कि हत्यारोपितों के नाम वोल्वो बस वसूली से लेकर गांजा तस्करी तक में सामने आया है।

पुलिस छानबीन में इस बात के पुख्ता प्रमाण भी मिले हैं। गांजा तस्करी में जिस युवक को कृष्णानगर पुलिस ने पिछले महीने 24 दिसंबर को जेल भेजा था, शिशिर के हत्यारोपित उसे छोड़ने का दबाव बना रहे थे। उन्हें शक था कि शिशिर के इशारे पर ही उनका साथी पकड़ा गया है, तभी से वह शिशिर से रंजिश मानने लगे थे। हत्या के पीछे इसी का विवाद भी सामने आया है।

वकीलों ने कृष्णानगर पुलिस पर हत्यारोपितों से साठगांठ का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा भी किया। कृष्णानगर में अधिवक्ता शिशिर त्रिपाठी की हत्या के बाद सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला। प्रिंयका ने लिखा कि अधिवक्ता की नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई। क्या प्रदेश पूरी तरह अपराधियों के हाथ में है? भाजपा सरकार कानून व्यवस्था के बारे में पूरी तरह फेल है।

कृष्णानगर पुलिस के मुताबिक मुख्य हत्यारोपित उपेंद्र उर्फ मोनू पूर्व में शिशिर का दोस्त हुआ करता था। कृष्णानगर पुलिस पिछले छह महीने में गांजा बेचने के आरोप में छह अभियुक्तों को जेल भेज चुकी है। उपेंद्र को शक था कि शिशिर के इशारे पर ही गांजा बेचने के आरोप में युवक जेल भेजे जा रहे हैं। यही शक रंजिश में तब्दील हो गया। शिशिर हत्याकांड को लेकर पोस्टमॉर्टम हाउस, कलेक्ट्रेट से लेकर उनके घर तक अधिवक्ताओं, समाजसेवियों और नेताओं का तांता लगा रहा।

लखनऊ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जीएन शुक्ला, महामंत्री जितेंद्र सिंह यादव, कोषाध्यक्ष आदर्श मिश्र, संयुक्त मंत्री ज्यो¨तद्र द्विवेदी व एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित हनी समेत अन्य अधिवक्ताओं ने पुलिस से कार्रवाई की मांग की।