सर्दी के मौसम में बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी को भी निमोनिया हो जाता है। निमोनिया आज के समय में एक आम बीमारी बन गई है। हालांकि पूरी दुनिया में आज भी बच्चों के मौत का सबसे प्रमुख कारण यही बीमारी है। स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया नामक बैक्टीरिया इस बीमारी का प्रमुख कारण है। यह बैक्टीरिया फेफड़ों को संक्रमित कर श्वसन प्रणाली को प्रभावित कर देता है। निमोनिया के रोगाणु अवसरवादी होते हैं। अगर आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है तो आप जल्दी ही इसकी चपेट में आ सकते हैं। निमोनिया एक जानलेवा बीमारी है इसलिए जब भी आपको इसके लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
खांसी
निमोनिया की समस्या होने पर लगातार खांसी आती है। अगर निमोनिया बैक्टीरियल होता है तो पीले या हरे रंग का थूक निकलता है। निमोनिया के रोगाणु फेफड़ों को संक्रमित कर देते हैं जिस कारण कभी-कभी थूक में खून के धब्बे भी दिखते हैं। लेजिनोला निमोनिया होने पर भी खूनी बलगम आते हैं।
तेज सांस चलना
निमोनिया के रोगाणु सबसे पहले फेफड़ों के वायु छिद्रों पर हमला करते हैं फिर जब इनकी संख्या बढ़ जाती है तो यह गले और नाक से गुजरने वाली हवा को प्रभावित करने लगते हैं। इसी वजह से सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। किसी भी मेहनत वाले काम के दौरान सांस उखड़ जाना इस बीमारी का लक्षण है।
बुखार
निमोनिया में बच्चों को ठंड के साथ बहुत तेज बुखार आता है। यह बुखार लगभग 100 डिग्री फारेनहाइट से भी ज्यादा होता है। बड़े लोगों में बुखार की तीव्रता कम होती है।
पसीना आना
बैक्टीरियल निमोनिया के संक्रमण में कई लोगों को ठंड के साथ आने वाले तेज बुखार में पसीना आते भी देखा गया है।
सीने में दर्द
निमोनिया में लगातार खांसी आती है। ज्यादा खांसी होने के कारण सीने में दर्द का अहसास होने लगता है। इस दर्द के ज्यादा बढ़ जाने पर इंसान को सांस लेने और खांसने में भी तकलीफ होने लगती है।
थकान
ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण लगातार थकान,मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और पूरे शरीर में कमजोरी होने लगती है।
मतिभ्रम
निमोनिया के दौरान सांसों में तकलीफ होने के कारण मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और जरूरी पोषक तत्व नही मिल पाते हैं। इसका परिणाम ये होता है कि लोगों में मतिभ्रम की स्थिति आ जाती है।
नाखूनों और होंठ का रंग बदलना
बैक्टीरियल निमोनिया में सांसों की कमी के कारण रीर कि कोशिकाओं में ऑक्सीजन कि मात्रा काफी कम हो जाती है जिसके कारण कई बार नाखूनों और होंठो के रंग भी बदल जाते हैं। होठों का रंग पीला पड़ जाता है और नाखूनों का रंग सफेद हो जाता है।