बलिया।(www.arya-tv.com) नगर पंचायत सहित गंगा व घाघरा के तटवर्ती दर्जनों ग्राम सभाओं की लगभग डेढ़ लाख आबादी की चिकित्सा व इलाज के लिए स्थापित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेवती सुविधाओं के अभाव में केवल रेफर अस्पताल बन कर रह गया है। ओपीडी में यहां प्रति दिन सैकड़ों मरीज इलाज को आते हैं, लेकिन चिकित्सकों की कमी, आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के अभाव के चलते उनका उपचार नहीं हो पाता है।
समुचित स्वास्थ्य सेवाएं बहाल करने के लिए यहां कई बार धरना प्रदर्शन भी आयोजित किया गया, लेकिन आश्वासन के बावजूद विभाग की उदासीनता व जनप्रतिनिधियों चुप्पी से मरीजों के काई लाभ नहीं मिल रहा है। यहां एक्स-रे टेक्निशियन की नियुक्ति है लेकिन एक्सरे मशीन नहीं है। अल्ट्रासाउंड तक की सुविधा उपलब्ध नहीं होने से गर्भवती महिलाएं 400 रुपये खर्च कर प्राइवेट में जांच कराने के लिए विवश हैं। एंटी रेबीज की दवा लगभग 20 दिन से उपलब्ध नही हो पाई है। चिकित्सा व इलाज के लिए प्रभारी के रूप में डॉ. धर्मेद्र कुमार के अलावा एक चिकित्सक रोहित रंजन भी यहां कार्यरत हैं। ओपीडी का एक मात्र कार्य डॉ. रोहित रंजन ही देखते हैं।
संविदा पर कार्यरत यशवंत सिंह व विनायक मौर्य यहां से त्यागपत्र देकर जा चुके हैं। आयुष चिकित्सक के रूप में महिला चिकित्सक के रूप में डॉ. अनिता यादव व डॉ. एके वर्मा हैं। पहले इनकी तैनाती सप्ताह में छह दिन थी। अब सप्ताह में दोनों मात्र तीन दिन ही कार्य कर रही हैं। शाम चार बजे के बाद सभी चिकित्सक व कर्मी अपने घर चले जाते हैं। उसके बाद इमरजेंसी कार्य फार्मासिस्ट ही देखते हैं।
सांसद का आश्वासन भी नहीं आया काम अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल रेवती की तरफ से सांसद सलेमपुर रविन्द्र कुशवाहा जी को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर विशेषज्ञ डॉ. की नियुक्ति तथा आधुनिक चिकित्सा उपकरणों की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने संबंधी पत्रक दिया गया था। सार्वजनिक रूप से सांसद द्वारा यहां समुचित इलाज की व्यवस्था कराने के लिए आश्वासन भी दिया था लेकिन वह आश्वासन भी आज तक हवा में ही तैरता रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि यदि यहां पर एक बाल रोग विशेषज्ञ व आर्थो के चिकित्सक की तैनाती हो जाए तो यहां के लोगों को बहुत राहत मिलेगी।