देशी घी सदियों से हमारे खान-पान का हिस्सा है, लेकिन बदलते दौर के साथ इसे लेकर नकारात्मक धारणा बन गई है। मॉडर्न लाइफ स्टाइल में पीजा, बर्गर जैसे फास्टफूड खाने से पहले कोई सोचता नहीं है, लेकिन जब देशी घी के सेवन का सवाल आता है तो लोगों को लगता है कि इससे मोटापा बढ़ता है। बहुत से लोग देशी घी की जगह मक्खन का प्रयोग करना बेहतर समझते हैं, लेकिन यह सच नहीं है।
देशी घी का सेवन मक्खन से कहीं बेहतर होता है। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) की रिसर्च में दावा किया गया है कि गाय का देशी घी उन एंजाइम्स को बढ़ाता है, जो कैंसर पैदा करने वाले जीवाणुओं को निष्क्रिय कर देते हैं।
टाइप-2 डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम, कैंसर और एलर्जी से बचाव में देशी घी काफी मददगार साबित होता है। देसी घी मक्खन से ज्यादा बेहतर होता है। यह न केवल शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है बल्कि मोटापा भी कम करता है और खून में ब्लड में मौजूद बैड कॉलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित रखता है। देशी घी को एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-फंगल और एंटी-बायोटिक बताया गया है।
कैलोरी, फैट और कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने के मामले में देशी घी, मक्खन से ज्यादा बेहतर है। घी, मक्खन की तुलना में बेहतर कंसन्ट्रेटेड वसा का सोर्स भी माना गया है। एक चम्मच देशी घी में जहां 13 ग्राम वसा और 117 कैलोरी होती हैं, वहीं, एक चम्मच मक्खन में 11 ग्राम वसा और 100 कैलोरी होती है। हमारा शरीर देशी घी को आसानी से ऑब्जर्ब कर लेता, जबकि मक्खन के साथ ऐसा नहीं है, इसे ऑब्जर्ब होने में थोड़ा समय लगता है. देशी घी सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
अगर आप अपनी डाइट में फैट के स्रोत का 10% घी का सेवन करते हैं तो यह LDL कोलेस्ट्रॉल (बैड कोलेस्ट्रॉल), VLDL कोलेस्ट्रॉल (बैड कोलेस्ट्रॉल) और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम कर सकता है। देशी घी में कन्जुगाटेड लिनोलिक एसिड (Conjugated linoleic acid) पाया जाता है, जो सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखता है। वहीं, मक्खन कुल कोलेस्ट्रॉल यानि की LDL कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है। जर्नल ऑफ़ लिपिड रिसर्च में छपे एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग मक्खन खाते थे, उनके एलडीएल के स्तर में वृद्धि हुई।
