शिवसेना यूबीटी विधायक आदित्य ठाकरे के बेहद गरीबी नेता सूरज चव्हाण को बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है. मामला कोविड काल में हुए कथित खिचड़ी घोटाले से जुड़ा था, जिसमें एक साल बाद सूरज चव्हाण जेल से बाह आए हैं. जेल से निकलने के बाद जैसे ही वह अपने घर पहुंचे, उनका स्वागत करने के लिए पार्टी के कई कार्यकर्ता भी वहां पहुंचे हुए थे. इस दौरान पटाखे फोड़ कर सूरज चव्हाण का वेलकम किया गया. मौके पर उनकी पत्नी भी रोने लगीं.
सूचना विधायक वरुण सरदेसाई भी सूरज चव्हाण से मिलने हैं उनके घर पहुंच. एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए वरुण सरदेसाई ने कहा कि सूरज चव्हाण को गिरफ्तार करना सत्ता पक्ष की साजिश थी. सरकार शिवसेना के लोगों को अपने साथ ले जाना चाहती थी. हमें कमजोर करने की कोशिश की जा रही थी लेकिन सूरज चव्हाण हमेशा ही पार्टी के साथ रहे.
कोर्ट ने कहा- आरोपों के सबूत नहीं मिले
वरुण सरदेसाई ने कहा कि उद्धव ठाकरे परिवार हमेशा उनके साथ हैं, शिवसेना उनके साथ है. वह हमारे परिवार के बेहद करीबी हैं. मैं भी इसलिए उनसे मिलने आया
आपने हाई कोर्ट का ऑर्डर भी देखा होगा. उसमें साफ तौर पर कहा गया है कि जिस तरह के आरोप लगे हैं, उससे जुड़ा सबूत नहीं मिला है.
‘बेटे के जन्मदिन पर मिली जमानत’
सूरज चव्हाण ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, “आज मेरे बच्चे का जन्मदिन है और इस दिन ही मुझे जमानत मिली. भगवान का बहुत बड़ा शुक्रिया अदा करूंगा. उनकी मेहरबानी के चलते आज के दिन मैं मेरे बेटे के साथ हूं.”
खिचड़ी स्कैम क्या है?
जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान BMC ने फैसला किया था कि प्रवासी मजदूरों को खिचड़ी बांटी जाएगी. साल 2020 के अप्रैल महीने में BMC के बायकुला ऑफिस में इसको लेकर बैठक हुई. बैठक में फैसला हुआ कि किसी संस्था को कॉन्ट्रैक्ट देकर 5 हजार से ज्यादा फूड पैकेट तैयार करवाए जाएंगे.
कॉन्ट्रैक्ट किसी प्राइवेट कंपनी को नहीं बल्कि चैरिटेबल ऑर्गनाइजेशन, एनजीओ या कम्युनिटी किचन को दिया जाना था. बशर्ते संस्था के पास किचन और स्वास्थ्य विभाग का प्रमाणपत्र हो. हालांकि, जो एफआईआर फाइल की गई, उसमें आरोप था कि BMC ने इन नियमों की अनदेखी की और गलत तरीके से कॉन्ट्रैक्ट दिए.