11 हजार रुपये प्रति क्विंटल पहुंची प्याज की कीमतें

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महाराष्ट्र में कलवान कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) की सोमवार को हुई नीलामी में प्याज की थोक कीमत 11 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई। अन्य प्रमुख शहरों में भी प्याज 75 से 100 रुपये किलो में बिक रहा है। प्याज की औसत कीमत 10,000 से 10,300 रुपये रही।
एपीएमसी सूत्रों ने बताया कि सोमवार दिसंबर का पहला कारोबारी दिन था। प्याज की ग्रीष्मकालीन फसल का थोक मूल्य नासिक में इस सीजन में सबसे अधिक था। यहां प्याज का पिछला उच्चतम थोक नीलामी मूल्य पिछले महीने नौ हजार रुपये प्रति क्विंटल रहा था

बता दें कि अगस्त में प्याज की कीमत 1000 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल रही थी, वहीं औसत कीमत 2400 रुपये रही। सितंबर में प्याज की कीमत में बढ़त हुई और यह बढ़ कर 3000 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस महीने प्याज की औसत कीमत 3200 रुपये रही।

वहीं, अक्तूबर में प्याज की कीमत 4500 रुपये प्रति क्विंटल रही, इस दौरान प्याज की प्रति क्विंटल औसत कीमत 3800 रुपये रही। इसके बाद नवंबर में 9000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई। नवंबर में प्याज की औसत कीमत 4900 रुपये प्रति क्विंटल रही।

वहीं, देश में प्याज के सबसे बड़े थोक बाजार लासलगांव एपीएमसी में सोमवार को ग्रीष्मकालीन प्याज की बोली नहीं लगाई गई। इसके स्थान पर वहां 250 वाहनों में लाल प्याज पहुंचा जिसकी नीलामी की गई।

केंद्र ने प्याज की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा
प्याज की आसमान छूती कीमतों के बीच केंद्र ने राज्य सरकारों से प्याज की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और प्याज का बफर स्टॉक बनाने को कहा है। इसके साथ ही राज्य सरकारों से आयातित प्याज को उचित दरों पर वित्तरित करने को भी कहा है।

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने देश भर में प्याज की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर समीक्षा के लिए सोमवार को सचिवों की समिति की बैठक की अध्यक्षता की। गौबा को 11 बड़े प्याज उत्पादक राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में प्याज की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी गई।

बयान में कहा गया है कि कैबिनेट सचिव ने राज्यों को उचित बफर स्टॉक बनाए रखने, कारोबारियों पर भंडारण सीमा लगाने और जमाखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। बैठक में महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुख्य सचिवों ने भाग लिया।