रामजानकी मंदिर के सामने बने जलाशय का कभी नहीं सूखता पानी, जानें पूरी कहानी

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(www.arya-tv.com) मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना के कैलेंडर तिराहे से पश्चिम दिशा में स्थित ग्राम बरहदपुर कुटी के पास रामजानकी मंदिर अपने अद्भुत स्थापत्य कला और रहस्यमयी किंवदंतियों के कारण लोगों को आकर्षित करता है. यह मंदिर विशेष रूप से अपनी नक्काशी और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है. इसके सामने स्थित एक जलाशय भी है, जो कभी सूखता नहीं और सदैव पानी से भरा रहता है. लोग मानते हैं कि इस मंदिर में झूठी कसमें खाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह एक पवित्र स्थान माना जाता है.

मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
राम जानकी मंदिर का निर्माण 1914 ईस्वी में रसूलपुर के निवासी स्वर्गीय राम प्रसाद चौधरी ने लगभग डेढ़ लाख रुपये की लागत से कराया था. इस मंदिर में विशेष अष्टधातु की मूर्तियां स्थापित की गई थीं, जो दशकों पहले चोरी हो गईं. हालांकि मूर्तियों के चोरी होने के बावजूद, लोग मंदिर की नक्काशी और वास्तुशिल्प को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं. मंदिर की निर्माण सामग्री के लिए चुनार, वाराणसी और जौनपुर से विशेष पत्थर मंगवाए गए थे. इन पत्थरों पर की गई शिल्पकारी अद्वितीय है, जो कारीगरों की उत्कृष्ट कला को जीवंत करती है.

मंदिर के सामने भव्य जलाशय
मंदिर के ठीक सामने एक भव्य जलाशय स्थित है, जिसमें पानी कभी भी सूखता नहीं है. यह जलाशय भी अपनी शानदार शिल्पकारी के लिए प्रसिद्ध है. इसमें मछलियाँ डाली गई हैं, जो अब आकार में इंसानों से बड़ी हो गई हैं. इन मछलियों को कोई खाता नहीं है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जो इन मछलियों को खाएगा, उसे जीवनभर परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. यह मान्यता मंदिर के पुजारी द्वारा दिए गए वरदान के कारण है, और लोग इस पर अटूट विश्वास रखते हैं.

मंदिर की देखरेख और वर्तमान स्थिति
मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व होने के बावजूद समय-समय पर इसकी देखरेख और सफाई नहीं हो पाती है, जिसके कारण यह मंदिर अब अपनी भव्यता पर आंसू बहा रहा है. हालांकि, क्षेत्र के लोग अब भी इसे आस्था का केंद्र मानते हैं और इसके दर्शन के लिए आते रहते हैं.