बजट 2024: ‘अबकी बार चीन को भगाओ… सरकार से इस बार बहुत उम्मीद

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(www.arya-tv.com) इस साल जनवरी के अंत में सरकार ने अंतरिम बजट के पेश होने से पहले ही मोबाइल फोन पार्ट्स पर लगने वाले टैरिफ को 15% से घटाकर 10% करने की अधिसूचना जारी की थी. सरकार के इस कदम का मकसद स्थानीय उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देना और स्थानीय बाजारों में उत्पाद की कीमतें कम करना था.

सरकार के इस फैसले का फायदा एपल और फॉक्सकॉन जैसे मोबाइल पार्ट बनाने वाली कंपनियों को हुआ भी. दरअसल अब तक चीन मोबाइल पार्ट के मैन्युफैक्चरिंग का हब हुआ करता था. लेकिन भारत के मोबाइल फोन पार्ट्स पर आयात शुल्क को घटाने और अमेरिका-चीन के बीच तनाव बढ़ने के कारण अमेरिका ने चीन से एपल की मैन्युफैक्चरिंग भारत में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है.

जियो पॉलिटिकल टेंशन और कोरोना महामारी के बाद एपल सहित अन्य अमेरिकी टेक दिग्गज भी चीन के बाहर अपनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के विस्तार पर काम कर रही है. ऐसे में आयात शुल्क कम होने के फैसले से बाद बाहरी कंपनी का भारत में मैन्युफैक्चरिंग करना इस बात का सबूत है कि इनपुट और सब्सिडी के लिए कम टैरिफ घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने में मदद करते हैं.

अब जब भारत में 18वीं लोकसभा चुनाव के बाद पहला पूर्ण बजट जारी किया जाना है तो ‘उच्च’ टैरिफ चार्ज, खासतौर से औद्योगिक कच्चे माल और मध्यवर्ती उत्पादों पर कटौती की मांग तेज हो गई है.

इस बजट में इस सेक्टर के लोगों को क्या उम्मीदें है, क्या बजट इस आयात शुल्क को और कम करने जैसे फैसले ले सकता है, इस पर विस्तार से जानते हैं.

नीति आयोग की रिपोर्ट 

नीति आयोग ने पिछले सप्ताह एक रिपोर्ट में कहा कि भारत को आयात शुल्क में उल्लेखनीय रूप से सुधार करने और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए वैश्विक मूल्य श्रृंखला (जीवीसी) में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन का उपयोग करने की जरूरत है, और 2030 तक इस क्षेत्र के लिए 500 अरब डॉलर का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए. वर्तमान में यह $100 बिलियन डॉलर से थोड़ा ज्यादा है.

व्यापार अर्थशास्त्री की मानें तो बढ़ती टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं पिछले दशकों, खासकर 1990 के दशक से अपनाई गई प्रगतिशील बाहरी व्यापार उदारवाद की नीति के बिल्कुल उलट हैं. उनका कहना है कि टैरिफ में कटौती, आयात पर रिस्ट्रिक्शन को खत्म करने के लिए सबसे अहम तरीका है.

वर्तमान समय में, प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों में चीन-प्लस-वन रणनीति अपनाई जा रही है. यह एक वैश्विक व्यापार रणनीति है जिसमें कंपनियां अपनी उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला को चीन से हटाकर या कम करके अन्य देशों में भी विस्तार करने का काम कर रही है. इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य अपने व्यवसाय को जोखिमों से बचाना और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाना है. ऐसे में अगर भारत अपने आयात शुल्क में और कमी करता है तो इससे देश को काफी  फायदा मिल सकता है.