अमित शाह के खिलाफ गलत बयानी करने पर जयराम रमेश को नोटिस, जानें क्या है मामला

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(www.arya-tv.com) लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव नतीजों को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर देश के डेढ़ सौ से ज्यादा जिलों के डीएम को फोन पर धमकाने के आरोप लगाने के मामले में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. इस मामले में चुनाव आयोग उन्हें पहले ही नोटिस जारी कर चुका है और अब इलाहाबाद की कोर्ट ने भी जयराम रमेश के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है.

जयराम रमेश को 23 अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करना होगा. जयराम रमेश को कोर्ट को यह बताना होगा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर उन्होंने जो आरोप लगाए थे, उसका आधार क्या था. जयराम रमेश अगर कोर्ट में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाते हैं तो अदालत उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. इस मामले में अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी.

दरअसल, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लोकसभा चुनाव के दौरान एक जून को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर दावा किया था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश के डेढ़ सौ से ज्यादा जिलों के डीएम से फोन पर बातचीत कर उनसे चुनाव नतीजे अपनी पार्टी बीजेपी के पक्ष में कराने को कहा है. जयराम रमेश के इस दावे पर खूब सियासी कोहराम मचा था.

इन्होंने दायर की थी याचिका
बीजेपी ने इस मामले की शिकायत चुनाव आयोग से भी की थी. इस पर चुनाव आयोग ने 2 जून को नोटिस जारी कर जयराम रमेश को जवाब दाखिल करने को कहा था. प्रयागराज में रहने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता और बीजेपी के विधि विभाग के प्रदेश सहसंयोजक सुशील मिश्र ने इस मामले को लेकर सोमवार को इलाहाबाद की जिला कोर्ट में जयराम रमेश के खिलाफ अपराधिक परिवाद दाखिल किया. इस मामले की सुनवाई ए सीजेएम सेवेन पलाश गांगुली की कोर्ट में हुई. अदालत ने शिकायतकर्ता बीजेपी नेता सुशील मिश्रा के परिवाद को प्रथम दृष्टया कार्रवाई के लायक मानते हुए जयराम रमेश को नोटिस जारी किए जाने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील और बीजेपी विधि विभाग के प्रदेश सहसंयोजक सुशील मिश्रा की शिकायत में कहा गया है कि जयराम रमेश ने जानबूझकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की छवि को धूमिल करने, उनकी पार्टी बीजेपी को बदनाम करने और चुनाव आयोग के खिलाफ दुष्प्रचार करने के मकसद से झूठा व  फर्जी दावा किया था. उनका यह दावा देश में कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर सकता था, इसलिए उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में देश को गुमराह करने के ऐसे कृत्य दोबारा ना हो सके.