राजकुमार ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया है. वह पुलिस की नौकरी छोड़कर बॉलीवुड में आए थे, यहां भी उनका रौब कुछ ऐसा ही रहता था. इंडस्ट्री में राजकुमार साहब अपने तीखे तेवर और विवादित बोल के लिए जाने जाते थे. 1968 में वो उन्होंने एक जिद में फिल्म की शूटिंग बीच में ही रोक दी, जिसके बाद तो डायरेक्टर के पसीने छूट गए थे.अक्खड़ मिजाज, मुंहफट और बेबाक अंदाज, चाल-ढाल में शेरों जैसा रौब, धमाकेदार आवास, मदमस्त अंदाज और सख्त मिजाज इस एक्टर का मिजाज रहा. एक दौर था जब इनके फेमस डॉयलॉग्स को सुनने के लिए फैंस थिएटर्स में पहुंचते थे और तालियों की आवाज तब तक नहीं रुकती थी, जब तक वह पर्दे से चले नहीं जाते थे. लोग भले इस अक्खड़ एक्टर की एक्टिंग से गदगद हो जाते थे, लेकिन किसी दूसरे स्टार और मेकर्स की सांसे तब तक ऊपर-नीचे होती रहती थीं, जब तक फिल्म की शूटिंग पूरी न हो जाए. दुनिया भले इनकी एक्टिंग के दीवाने हो, लेकिन उस दौर में एक्टर और एक्ट्रेस उनके साथ काम करने से थोड़ा कतराते थे. ये एक्टर और कोई नहीं बल्कि राजकुमार हैं.
राजकुमार ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया है. वह पुलिस की नौकरी छोड़कर बॉलीवुड में आए थे, यहां भी उनका रौब कुछ ऐसा ही रहता था. इंडस्ट्री में राज कुमार साहब अपने तीखे तेवर और विवादित बोल के लिए जाने जाते थे. 1968 में वो उन्होंने एक जिद में फिल्म की शूटिंग बीच में ही रोक दी, जिसके बाद तो डायरेक्टर के पसीने छूट गए थे.
ये फिल्मों का वो दौर था, जब कम बजट में डायरेक्टर को फिल्म पूरी करके समय पर रिलीज करनी होती थी. 1968 में वहीदा रेहमान, राज कुमार, मनोज कुमार, मेहमूद, बलराज साहनी, ललिता पवार जैसे दिग्गजों से सजी एक फिल्म रिलीज हुई, जिसका नाम था नीलकमल. फिल्म को डायरेक्टर राम माहेश्वरी ने डायरेक्ट किया था.इस फिल्म में राजकुमार का किरदार एक ‘मूर्तिकार’ का था, इसके अलावा राज कुमार को इसमें कुछ गहने भी पहनने थे. जब फिल्म की शूटिंग शुरू हो गई तो राज कुमार अपने आभूषणों को देखकर गुस्सा से लाल हो गए. सेट पर उन्हें गुस्से में देख साथी कलाकार और क्रू परेशान हो गई. गुस्से से लाल राजकुमार डायरेक्टर के पास पहुंचे और गुस्से में बोले- ‘अगर पहनूंगा तो असली जेवर, नहीं तो शूटिंग नहीं करूंगा.’ ये सुनकर डायरेक्टर के हाथ पैर फूल गए. काफी समझाने के बाद भी राज कुमार अपनी जिद पर अड़े रहे और असली गहनों की मांग करने लगे. फिल्म के सेट पर हर किसी को टेंशन होने लगी.
डायरेक्टर राम माहेश्वरी घबराकर नील कमल के प्रोड्यूसर पन्ना लाल माहेश्वरी के पास पहुंचे और उऩ्होंने राज साहब की जिद को उनके सामने रख दिया. दोनों के पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था, क्योंकि फिल्म की कुछ शूटिंग हो चुकी थी. कई दिनों तक शूटिंग रुकी रही, जिसकी वजह से फिल्म के मेकर्स का नुकसान होता रहा. आखिरकार प्रोड्यूसर ने किसी तरह जुगाड़ करके असली गहनों का इंतजाम किया. उसके बाद ही राजकुमार ने फिल्म का पहला शॉट दिया. हालांकि, जब आप ये फिल्म देखेंगे तो पता नहीं चलेगा कि राजकुमार ने असली गहने पहने हैं या फिर नकली, लेकिन वो राज कुमार ही थे, जो ठान लेते थे वही करते भी थे.