(www.arya-tv.com)कहते हैं कि कोर्ट-कचहरी में जो एक बार फंस गया तो फिर उसका पूरा जीवन उसी में लग जाता है और उसको कोर्ट-कचहरी से निजात नहीं मिल पाता है. अगर कुछ मिलता है तो सिर्फ तारीख पर तारीख. लेकिन बस्ती जिला प्रशासन द्वारा इन भ्रांतियों को तोड़ते हुए एक ऐसी पहल की है, जो आने वाले समय में उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश में नजीर बनने जा रहा है.
बस्ती जनपद में पिछले कई दशकों से लगभग 49 हजार 5 सौ मुकदमे ऐसे पेंडिंग थे, जो मात्र कुछ ही दिनों में निस्तारित हो सकते थे. लेकिन कानूनी दाव पेंच के कारण इन मुकदमों की फाइलें सालों से भी अधिक समय से राजस्व और चकबंदी न्यायालय में पड़ी धूल फांक रही थी. लेकिन जिलाधिकारी अंद्रा वामसी की एक पहल से अब इन मुकदमों का न सिर्फ त्वरित निस्तारण हो रहा है, बल्कि आम जनमानस को भी भागदौड़ से मुक्ति मिल रही है. जिससे उनके आने-जाने, कागज कलम के खर्च के साथ ही समय भी बच रहा है.
दो महीने में निस्तारित हुए 32 हजार मुकदमे
जब बस्ती जनपद में मौजूदा जिलाधिकारी अंद्रा वामसी ने कमान संभाली तो उन्होंने देखा की बस्ती जनपद में राजस्व, फौजदारी और चकबंदी न्यायालय में धारा 24,116,30,34,67 आदि के लगभग 49 हजार 5 सौ मुकदमे पेंडिंग हैं. जिसका निस्तारण आसानी से किया जा सकता था. जिसके निस्तारण की जिम्मेदारी जिलाधिकारी अंद्रा वामसी द्वारा खुद संभाली गई और उन्होंने सभी न्यायालयों को आदेशित किया कि प्रतिदिन कम से कम 200 मुकदमों का निस्तारण किया जाए और जब तक टारगेट के हिसाब से मुकदमों का निस्तारण नहीं होगा कोई भी अधिकारी अपना कोर्ट नहीं छोड़ेगा.
डीएम के इस सख्ती का असर भी देखने को मिला. जिसका नतीजा है कि बस्ती जनपद में मात्र दो ही महीने में 49 हजार 5 सौ मुकदमों में से 35 हजार मुकदमों का निस्तारण कर लिया गया. जिसमें अब 32 राजस्व न्यायालयों में 15 हजार, फौजदारी में 2900, गुण्डा और शस्त्र न्यायालयों में 1 हजार, चकबंदी न्यायालय में 2200 मुकदमे और अवशेष हैं. जिसकी लिस्टिंग भी प्रशासन द्वारा तैयार की जा रही है. अब प्रशासन द्वारा एक साल तक के मुकदमों का निस्तारण किया जाएगा.
मुकदमों को निष्पक्षता पूर्ण निस्तारित किया जा रहा
जिलाधिकारी अंद्रा वामसी ने बताया कि देखा जाता था कि पीड़ित एक ही मामले को आईजीआरएस, राजस्व, चकबंदी, तहसील दिवस और थाना दिवस मिलाकर पांच से छह जगहों पर शिकायत करते थे. जिससे उनके साथ-साथ प्रशासन पर भी बोझ बढ़ जाता था. इसलिए शासन के निर्देश पर मुकदमों के निस्तारण संबधी एक ट्रायल चलाया गया है और जो भी व्यक्ति मुकदमों के निस्तारण से संतुष्ट नहीं है वो अपनी आपत्ति लिख कर दे सकते हैं. प्रशासन द्वारा उनकी भी पूरी मदद की जाएगी. साथ ही साथ अब एक साल तक के जिसमें 7 हजार मुकदमे हैं उनके निस्तारण पर जोर दिया जा रहा है. साथ ही प्रशासन द्वारा शेष सभी मुकदमों को कम समय में और निष्पक्षता पूर्ण ढंग से निस्तारित किया जा रहा है.