इस ‘मायाजाल’ में जो फंसा, समझो वो डूब गया, दिग्‍गज फंड मैनेजर ने बताया शेयर बाजार से कमाई का फार्मूला

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(www.arya-tv.com)  शेयर बाजार (Stock Market) से हर कोई पैसा बनाना चाहता है. लेकिन, हर किसी की यह चाहत पूरी नहीं होती. रिटेल निवेशकों का पैसा अक्‍सर डूब जाता है. टाटा म्‍यूचुअल फंड के चीफ इनवेस्‍टमेंट ऑफिसर (इक्विटी), राहुल सिंह का कहना है कि स्मॉल इनवेस्टर्स अच्छी सोच के साथ निवेश करना शुरू करते हैं. वे लॉन्‍ग टर्म में पैसा लगाने की योजना के साथ बाजार में आते हैं. परंतु, कुछ समय बाद ही वे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग और फ्यूचर एंड ऑप्शंस (F&I) के मायाजाल में फंस जाते हैं. यहां से पैसा बनाना इतना आसान नहीं, जितना दिखता है. बस, फिर दिक्‍कतें शुरू हो जाती हैं, क्‍योंकि यह फिसलन भरा रास्‍ता है. इस मार्ग से गुजरना हर किसी के बस की बात नहीं है.

SEBI के डेटा के मुताबिक, वित्‍त वर्ष 22 में एफएंडओ में निवेश करने वाले हर 10 में से 9 निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा. उनका औसत लॉस 1.1 लाख रुपये था. एक्टिव ट्रेडर्स जिन्‍होंने साल में F&O में पांच बार से ज्यादा निवेश था उनमें से सिर्फ 6 फीसदी ने वित्‍त वर्ष 22 में प्रॉफिट कमाया और उनका औसत मुनाफा सिर्फ 3,400 रुपये रहा. इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पैसा डूबने का कितना खतरा है.

कहां और कैसे करें निवेश?
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, राहुल सिंह ने बताया कि वे अपने निजी निवेश के लिए 40: 40: 20 रणनीति अपनाते हैं. 40 फीसदी पैसा बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स (BAF) में लगाते हैं. 40 फीसदी निवेश डायवर्सिफायड इक्विटी में करते हैं और बाकी 20 फीसदी फंड को एग्रेसिव प्रोडक्ट्स में इनवेस्‍ट करते हैं. इस स्ट्रेटेजी की खासियत यह है कि पोर्टफोलियो का 40 फीसदी हिस्सा जोखिम मैनेज करता है. 40 फीसदी से लगातार रिटर्न मिलता रहता है. बाकी 20 फीसदी कुल पोर्टफोलियो के मुनाफे को बढ़ाने में मदद करता है.

रिटेल निवेशकों को निवेश की इस रणनीति को अपनाने की जरूरत है. ज्यादातर रिटेल इनवेस्टर्स ज्यादा रिटर्न कमाने के लिए शेयरों को जल्द खरीदने और बेचने में लगे हैं, वहीं राहुल सिंह जैसे मार्केट एक्सपर्ट म्यूचुअल फंड्स के जरिए शेयरों में निवेश करना पसंद करते हैं. इसका मतलब यह है कि नए रिटेल निवेशक को सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाने की बजाय म्‍यूचुअल फंड के माध्‍यम से बाजार में एंट्री लेनी चाहिए.

अपने ट्रैक रिकॉर्ड का करें आंकलन
राहुल सिंह का कहना है कि बतौर फंड मैनेजर वे इनवेस्टर्स को यह सलाह नहीं दे सकते कि उन्हें F&O में ट्रेडिंग करनी चाहिए या नहीं. हां, निवेशकों को आंकड़ों को ध्‍यान से देखना चाहिए. साथ ही निवेशक को अपने ट्रैक रिकॉर्ड का भी आंकलन समय-समय पर करना चाहिए. उसके बाद आगे निवेश का फैसला लेना चाहिए. शेयर बाजार फ्री मार्केट है. यहां रिस्क यह है कि अच्छी जानकारी और प्रोफेशनल ओवरसाइट के अभाव में यह ‘फ्री फॉर ऑल’ मार्केट बन जाता है. इसलिए कमाई के लिए निवेश की एक सही और अच्‍छी रणनीति अपनाना बहुत जरूरी है.