ट्रेकोमा

चमत्कार! 13 साल बाद लौटी किसान की आंखों की रोशनी, अब खुशी के मारे नहीं थम रहे आंसू

# ## Agra Zone Health /Sanitation

(www.arya-tv.com)  आगरा. पिनहाट ब्लॉक के कियोरी गांव के रहने वाले शैलेश यादव पिछले 13 सालों से देख नहीं सकते थे. उनके दोनों आंखों की रोशनी “लिम्बल स्टेम सेल डिफिशिएंसी” बीमारी, जिसे बोलचाल की भाषा में नाखूना भी कहा जाता है ने छीन ली थी. खेती किसानी करने वाले शैलेश यादव की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि वह अच्छे अस्पतालों में इलाज भी नहीं करा सके. 38 साल के शैलेश की जिंदगी में चौतरफा अंधेरा छा गया. जब आंखों की रोशनी पूरी तरीके से चली गई तो काम धंधा चौपट हो गया. घर में दो वक्त की रोटी के लाले पड़ने लगे.

शैलेश अपनी आंखों के इलाज के लिए देश भर के दर्जनों सरकारी हॉस्पिटल घूमे, यहां तक कि दिल्ली एम्स में महीनों तक इलाज कराया. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ . हार मानकर शैलेश आगरा एसएन मेडिकल पहुंचे. जहां आई बैंक और इंचार्ज हेड कॉर्निया सर्विसेज डॉक्टर शेफाली मजूमदार,ने 1 साल कड़ी मेहनत की. जिसके बदौलत अब शैलेश की आंखों की रोशनी फिर से लौट आई है.

13 साल से खोई हुई रोशनी लौटी वापस
आगरा एसएन मेडिकल कॉलेज नेत्र विभाग की आई बैंक और इंचार्ज हेड कॉर्निया सर्विसेज डॉ. शेफाली मजूमदार ,शैलेंद्र यादव के लिये भगवान से कम नहीं है. 13 सालों से ब्लाइंड शैलेश अब दोनों आंखों से देख सकता है. शेफाली मजूमदार ने बताया की शैलेंद्र यादव पिछले साल मई के महीने में उनके पास आंखों का इलाज कराने के लिए आए थे. जांच में उनकी आंखों में लिम्बल स्टेम सेल डिफिशिएंसी नाम की बीमारी पाई गई. जिसे आम भाषा में नाखून भी कहा जाता है. इस बीमारी में आंखों की कॉर्निया पर ट्रांसपेरेंसी खत्म होजाती है क्योंकि लिम्बल स्टेम बैरियर की तरह काम करता है. आदमी को दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता है.उनके पास आने से पहले शैलेश की दोनों आंखों की कई बार सर्जरी हो चुकी थी. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. ऐसे केस में मरीज की आंखों की रोशनी लौटना नामुमकिन के बराबर होता है. लेकिन हमारी टीम ने पिछले डेढ़ सालों में पूरी मेहनत की और दोनों आंखों की सर्जरी भी की. आगरा एसएन मेडिकल कॉलेज में लिम्बल स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की ये पहली सर्जरी है.

लिम्बल स्टेम सेल ट्रांसप्लांट विधि से हुआ इलाज
डॉ. शेफाली बताती है कि लिंबल स्टेम सेल डिफिशिएंसी बीमारी का इलाज लिंबल स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से होता है. अन्य रिलेटिव्स की स्वस्थ आंख से लिम्बल स्टेम सेल की कमी वाली आंख में ओकुलर सतह एपिथेलियम को फिर से भरने के लिये एक दूसरी आंख से सेल लेकर ट्रांसप्लांट किया जाता है. ये सर्जरी बहुत बारीक़ होती है.नSN मेडिकल कॉलेज में इस तरह की पहली सर्जरी है, जो सफल रही. अब तक यह सर्जरी केवल विदेश में की जाती थी. शैलेंद्र के केस में उनकी पत्नी की आंख से सेल लिया है. यूपी के मेडिकल कॉलेज में यह पहली सर्जरी है .जिसमे मरीज की रोशनी लौट आई हो.