60 फीट ऊंचे टीले पर बसा है यूपी का ये गांव, सैकड़ों सीढ़ियां चढ़ जाना पड़ता है यहां

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(www.arya-tv.com)  मेरठ से 20 किलोमीटर दूर हस्तिनापुर क्षेत्र में आज भी सैनी गांव सबसे ऊंचे टीले पर बसा हुआ है. 60 फीट इस ऊंचे गांव में जाने के लिए जहां लंबी चढ़ाई करनी पड़ती है. वहीं कुछ रास्तों में तो आपको सीढियों से भी चढ़कर जाना पड़ता है. इस गांव में आने की कई रास्ते हैं लेकिन सभी रास्तों पर आपको ऐसे ही लगेगा जैसे आप पहाड़ों पर चढ़ाई करते हुए किसी के घर जा रहे है मेरठ को महाभारत कालीन धरती कहा जाता है. मेरठ से 40 किलोमीटर दूरी हस्तिनापुर अपने आप में विभिन्न रहस्य को समाएं है. ऐसा ही कुछ वर्णन सैनी गांव के बारे में मिलता है. बताया जाता है कि यह महाभारत कालीन का सबसे ऊंचा टीला बचा हुआ है. अगर आज भी आप इस गांव में जाएंगे तो कई रास्तों पर आपको सैकड़ो की संख्या में सीढ़ियां चढ़कर जाना होगा. इस गांव की जमीन से 60 फीट ऊंचाई है.

सैनी गांव में अगर आप जाएंगे तो आपको पहाड़ों की चढ़ाई का करने का अवसर भी मिल पाएगा. जैसे इस गांव की तरफ चलेंगे तो आप धीरे-धीरे ऊंचाई की तरफ बढ़ते ही जाएंगे. काफी ऊंची यात्रा करने के बाद आप किसी एक घंर पहुंच पाएंगे. लेकिन आपका यह रास्ता पूरा नहीं होगा. जहां आप एक ऊंचे स्थान पर पहुंच जाएंगे. उसके बाद फिर जब दूसरे स्थान पर जाना होगा तो आपको नीचे की तरफ उतरना होगा पूरा गांव इसी तरीके से बसा हुआ है.

गांव की 60 फीट ऊंचाई पर एक बड़ा गड़गज बना हुआ है.जिसकी ऊंचाई भी लगभग 60 फुट से अधिक है. हस्तिनापुर विशेषज्ञ असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती बताते हैं कि इस गांव पर बने इस गड़गज का उपयोग अंग्रेजी हुकूमत द्वारा किया जाता था. एक तरफ जहां दूर-दूर तक दूरबीन के माध्यम से नजर रखी जाती थी. वहीं भारत के प्रथम नक्शे को तैयार करने में भी ब्रिटिश हुकूमत ने इस गांव पर बने गड़गज का उपयोग किया था.

मेरठ के इस गांव में आपको छोटी-छोटी गालियां भी देखने को मिलेगी. जो चढ़ाई और ढ़लान के साथ बनी हुई है. बच्चे इन पर दौड़ लगाते हुए भी दिखाई देते हैं. बुजुर्गों के लिए एक चुनौती भी होती है कि आखिर छोटी गलियों में कैसे चढ़ाई करें. उनका कहना है कि कई बार गिरने की भी संभावनाएं बनी रहती हैं. इस तरह का नजारा एक दो रास्तों पर ही नहीं बल्कि इस गांव में आने के लिए जितने भी रास्ते बने हुए हैं. उन सभी पर आपको चढ़ाई ही करते हुए आना होगा. वहीं बिना बाइक स्टार्ट किए वाहन चालक इसका लुत्फ भी उठाते हुए दिखाई देते हैं.हस्तिनापुर से संबंधित विभिन्न क्षेत्र में पहले इसी प्रकार के टील हुआ करते थे. जिन पर लोग रहा करते थे. लेकिन अब अगर देखा जाए तो एक मात्र यह सैनी गांव है. जो सबसे ऊंचाई पर है. इस गांव की ऊंचाई और गड़गज अपने आप में एक विशेष पहचान बनाए हुए हैं. जो कि इस गांव को अन्य गांव से अलग पहचान दिलाए हुए हैं.