(www.arya-tv.com) अगर आप भी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट में बेहतर परफॉर्म कर अपना भविष्य बनाना चाहते हैं. ऐसे क्रिकेट बैट की तलाश कर रहे हैं जिसके माध्यम से आप क्रिकेट के क्षेत्र में अच्छा परफार्म कर सकें. तो ऐसे सभी लोगों के लिए इंग्लिश विलो का बैट फायदेमंद हो सकता है. क्योंकि राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय के मैच में सबसे ज्यादा उपयोग इसी बैट का किया जाता है.
मेरठ सूरजकुंड स्पोर्ट्स मार्केट के अध्यक्ष अनुज कुमार सिंघल ने बताया कि राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जितने भी बड़े मैच आयोजित होते हैं. उन सभी में खिलाड़ियों की पहली पसंद इंग्लिश विलो का बैट ही रहता है. उन्होंने बताया कि यह कश्मीरी विलो के मुकाबले काफी हल्का होता है.इसी वजह से खिलाड़ी बेहतर कलाई और ताकत का उपयोग करते हुए इंग्लिश विलो के बल्ले से चौक्के-छक्के की बरसात करते हुए नजर आते हैं. जो कि कश्मीरी विलो के बैट से करने में काफी कठिन होता है.
काफी महंगा होता है इंग्लिश विलो
इंग्लिश विलो के बैट की शुरुआती कीमत 5000 रुपए से लाखों रुपए तक है. वहीं कश्मीरी विलो की बात की जाए तो बैट के रेट की शुरुआत 1500 रुपए से ही हो जाती. हालांकि घरेलू स्तर पर मैच की प्रेक्टिस करने के लिए शुरुआती दौर में कश्मीरी विलो के बैट को ही उपयोगी माना जाता है.
खास हैं यहां के बैट
बैट निर्माता ओमकार त्यागी ने बताया कि सूरजकुंड स्पोर्ट्स मार्केट में क्रिकेट सामग्री के बनने के इतिहास पर गौर करें तो यह आजादी के समय से जुड़ जाता है. 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद सियालकोट से आए रिफ्यूजी ने ही मेरठ में बल्ले का निर्माण किया था. बैट बनाने के साथ ही रिफ्यूजी ने मेरठ में कई तरह के अन्य स्पोर्ट्स सामग्री का भी निर्माण किया. अपने काम में इतने माहिर हैं कि उनके द्वारा बनाए गए बल्ले लगभग 60 से अधिक देशों में सप्लाई हो रहे हैं.
मशीनी युग में आज से भी होती हाथ से फिनिशिंग
इतना ही नहीं भले ही आज मशीन के माध्यम से लोग कार्य करना पसंद करते हो. लेकिन मेरठ में आज भी रिफ्यूजी द्वारा फिनिशिंग को अंतिम रूप हाथ से ही दिया जाता है. बताते चले की बड़े-बड़े खिलाड़ी मेरठ में जब बैट खरीदने के लिए आते हैं. तो वह अपने अनुसार बल्ले की फिनिशिंग कराते हुए भी दिखाई देते हैं.