यूपी के स्वास्थ्य विभाग में 400 करोड़ का घोटाला:सीएम ऑफिस पहुंची शिकायत

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(www.arya-tv.com) ‘सोच ईमानदार-काम दमदार’ का नारा बुलंद करने वाली उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग में नियमों के उल्लंघन के नए कीर्तिमान गढ़े जा रहे हैं। पिछले साल चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग की भारी अनियमितताओं को लेकर उपमुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री बृजेश पाठक लेटर बम के जरिए अपने ही अफसरों से नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। तो अब इन्हीं के मातहत आने वाले चिकित्सा शिक्षा विभाग में बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है।

गौरतलब है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार (द्वितीय) पर हाल ही में अपनी चहेती फर्म को काम दिलाने के गंभीर आरोप लगे थे। इसकी शिकायत के बाद लोकायुक्त ने जांच के आदेश भी दिए हैं। अब इसी चिकित्सा शिक्षा विभाग में नए मेडिकल कॉलेज मुकम्मल किए जाने में भारी गड़बड़ी उजागर हुई है।

दरअसल, पीपीपी मॉडल पर 14 मेडिकल कॉलेजों को बनाए जाने का काम जोर-शोर से किया जा रहा है। इनसे संबंधित फर्नीचर और मेडिकल उपकरणों की खरीद संबंधी 400 करोड़ से अधिक के ठेके नियमों को दरकिनार कर अंजाम दे दिए गए।

462 करोड़ के फर्नीचर-संसाधन खरीदे, बस नियम नहीं माने
पीपीपी मॉडल पर बन रहे 14 मेडिकल कॉलेजों के लिए फर्नीचर और मेडिकल उपकरण की खरीद होनी थी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इसके लिए सरकार की पीएसयू हाइट्स (HITES) को 400 करोड़ से ज्यादा का ठेका दिया गया।

इस मामले में हाइट्स कंपनी को 2% कंसल्टेंसी फीस विभाग के द्वारा देने का शासनादेश भी जारी कर दिया गया। लगभग 50% की राशि भी एडवांस में दे दी गई। इतने भारी-भरकम कीमत के संसाधनों की खरीद के लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी थी। मगर, यहीं पर गड़बड़ी हुई। कैबिनेट की मंजूरी के बिना ये ठेका दे दिया गया।

संज्ञान में आने पर सीएम ऑफिस ने जांच कमेटी बनाई, भुगतान पर रोक लगी
नियमों की इस अनदेखी की जानकारी होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा संज्ञान लिया। तत्काल प्रभाव से वित्त विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित करके जांच के आदेश जारी कर दिए। वित्त विभाग के द्वारा अपनी जांच पूरी करके विस्तृत रिपोर्ट सीएम ऑफिस को सौंप दी गई है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, UP DGME (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ मेडिकल एजुकेशन) के द्वारा लिखे गए लेटर के जरिए हाइट्स को भुगतान की जाने वाली धनराशि के भुगतान पर भी रोक लगा दी गई है।