मनिंदर सिंह पंढेर व सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा के खिलाफ अब 12 सितंबर को होगी सुनवाई

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(www.arya-tv.com)  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी कांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली व मनिंदर सिंह पंढेर की सजा के खिलाफ अपीलों की अगली सुनवाई की तिथि 12 सितंबर नियत की है। सुरेंद्र कोली को एक दर्जन से अधिक मामलों में सीबीआ ई कोर्ट गाजियाबाद ने फांसी की सजा सुनाई है। कुछ मामलों में पंढेर को भी फांसी की सजा मिली है। अपीलों की सुनवाई कर रही जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र तथा जस्टिस एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने CBI के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय यादव से पूछा कि क्या कोली की चिकित्सा जांच रिपोर्ट केस पत्रावली के साथ संलग्नक के रूप में दाखिल की गई है। इसके अलावा क्या कोर्ट ने प्रदर्श संख्या डाली है।सीबीआई की तरफ से सकारात्मक जवाब दिया गया। इसके बाद कोर्ट ने अपीलों को सुनवाई के लिए 12 सितंबर की डेट फिक्स कर दी।

अभियुक्त ने स्वेच्छा से मजिस्ट्रेट के सामने कुबूल किया है इकबाले जुर्म

इससे पूर्व की तिथियों में हुई बहस में CBI के अधिवक्ता संजय यादव व जितेंद्र प्रसाद मिश्र का कहना था कि अभियुक्त ने मजिस्ट्रेट के समक्ष स्वेच्छा से अपराध कबूल किया है। सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा मामले में कबूलनामे को स्वेच्छा और संतोषजनक माना है। अभियुक्त कोली के पास से पीड़िता का मोबाइल फोन बरामद हुआ है। यही नहीं नाले में मिले पीड़िता के कंकाल अवशेष का परिवार से DNA मैच कर गया है।

परिस्थितियां स्वयं हत्या की गवाही दे रही हैं। जांच प्रक्रिया में कतिपय अनियमितता के कारण उसे अपराध में संलिप्तता से राहत नहीं मिल सकेगी। सीबीआई की तरफ से कहा गया कि कोली के अपराध कबूल करने के बाद सोचने का पूरा समय दिया गया था। कबूलनामा सोच समझ कर दिया गया है।

कोली की निशानदेही पर बरामद हुआ था कंकाल और सामान

कोली की निशानदेही पर कंकाल व पीड़िता के कपड़े ,चप्पल आदि सामान बरामद हुए । बरामद अंग परिवार के लोगों से डीएनए जांच में मैच कर गये है। एक तरफ कबूलनामा और निशानदेही पर पीड़िता के कपड़े चप्पल आदि सामान की बरामदगी,अंगों की परिवार से डी एन ए मैच करना अपराध में लिप्तता के पर्याप्त सबूत हैं। कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामले मे तलब भी किया है। पुलिस अधिकारियों का भ्रष्टाचार में फंसना अपराध की जांच की तकनीकी खामियां पंढेर के खिलाफ सबूत है। उन्होंने कहा सी बी आई की तरफ से उन्हें विधिक सहायता भी मुहैया कराई गई थी। जबकि बचाव पक्ष का कहना था कि पर्याप्त विधिक सहायता नहीं दी गई। जवाब में सी बी आई की तरफ से कहा गया कि मांगने पर विधिक सहायता उपलब्ध कराई गई थी।

CBI ने अभियुक्तों को प्रताड़ित नहीं किया

इनका यह भी कहना है कि सीबीआई ने अभियुक्तों को प्रताड़ित नहीं किया, बयान स्वेच्छा से दिया है। ऐसे कोई साक्ष्य नहीं है जिससे कहा जाय कि कबूलनामा दबाव में दिया गया है।उसी कबूलनामे व निशानदेही के आधार पर साक्ष्य बरामद हुए है। जिसके आधार पर विशेष अदालत ने अपराध‌ के लिए दोषी करार देकर सजा सुनाई है। सी बी आई ने कई जगहों को सील कर सबूत तलाशें जहां से संकेत मिले ,उसी दिशा में जांच आगे बढ़ाई गई। निशानदेही पर बरामद साक्ष्यों की कड़ियां पूरे घटनाक्रम का खुलासा करती है। अभियुक्त लड़कियों को गुमराह कर कोठी में लाता था और अमानवीय अपराध करता था, जिसे उसने स्वयं ही कबूल किया है। भले ही घटनाओं का कोई चश्मदीद नहीं है,फिर भी अपराध के पर्याप्त सबूत हैं। जिनके आधार पर फांसी की सजा सुनाई गई है। बहस जारी है।