(www.arya-tv.com) ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स से 28% GST के हिसाब से बकाया टैक्स की वसूली शुरू होने वाली है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स के अधिकारियों के मुताबिक, 1 जुलाई 2017 को GST लागू होने के बाद से इन कंपनियों ने 5,000 करोड़ रुपए से भी कम का टैक्स चुकाया है। इन पर कुल टैक्स की वास्तविक देनदारी 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की बनती है। इस लिहाज से इन कंपनियों से 45,000 करोड़ का टैक्स और वसूला जाएगा।
18% की जगह अब 28% टैक्स, अंतर की भरपाई करेंगी कंपनियां
अप्रत्यक्ष कर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, टैक्स संबंधी ताजा घोषणा के बाद ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर GST देनदारी को लेकर स्थिति साफ हो गई है। इन्हें 28% की दर से ही GST चुकाना होगा। पहले 18% की दर से चुकाए गए टैक्स का बकाया भी देना होगा।
गौरतलब है कि इस साल 11 जुलाई को GST काउंसिल ने फैसला किया था कि चाहे गेमिंग स्किल आधारित हो या चांस आधारित, उस पर लगाए गए दांव की पूरी फेस वैल्यू पर 28% की दर से ही GST लगेगा।
जल्द जारी हो सकते हैं नोटिस
GST खुफिया महानिदेशालय (DGGI) जल्द ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को नोटिस जारी कर सकता है। इनमें वैसी विदेशी गेमिंग कंपनियां शामिल हैं, जिन्होंने 12 हजार करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी की है। गेम्सकार्ट को पहले ही 21 हजार करोड़ की डिमांड भेजी जा चुकी है।
कमाई को क्रिप्टो में बदल विदेश भेज रहीं ऑनलाइन गेमिंग फर्म
कुछ ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां भारत में हुई कमाई को क्रिप्टोकरंसी में बदलकर शेल (मुखौटा) कंपनियों के नेटवर्क से विदेश भेज रही हैं। मुंबई में DGGI ने ऐसे एक नेटवर्क का पता लगाया है। इस नेटवर्क ने गेमिंग ऐप्स के भारतीय यूजर्स से कमाए 700 करोड़ रुपए से ज्यादा के फंड को क्रिप्टोकरंसी में बदलकर विदेश भेज दिया था।
ऐसी अधिकांश गेमिंग कंपनियों का मुख्यालय टैक्स हेवन (कम या बिलकुल टैक्स नहीं लगाने वाले) देशों में है। ये अवैध रूप से भारत में काम कर रही हैं और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाती हैं।
टैक्स को लेकर फर्जीवाड़ा ऐसे
इन कंपनियों ने ड्राइवर, रेहड़ी वाले या अन्य छोटे दुकानदारों या मजदूरों को अपनी शेल कंपनियों का डमी डायरेक्टर बनाकर इनके नाम से अकाउंट खुलवा रखे हैं। इनके जरिए क्रिप्टोकरंसी खरीदकर रकम विदेश भेजी गई। अधिकारियों के मुताबिक, इनके माध्यम से ही हवाला भुगतान भी किया जा रहा था।