(www.arya-tv.com) 30 मार्च को अमेरिका की मैनहैटन कोर्ट ने डोनाल्ड ट्रम्प पर आपराधिक मुकदमा चलाने की मंजूरी दी। अमेरिका के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब किसी पूर्व राष्ट्रपति पर मुकदमा चलेगा। कोर्ट के फैसले के बाद से ट्रम्प अमेरिकी सरकार पर हमलावर हैं। वो इसे बदले की राजनीति कह रहे हैं।
अपने बयान में ट्रम्प डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं से ज्यादा अमेरिका के अरबपति जॉर्ज सोरोस और उनके खिलाफ फैसला सुनाने वाले जज एल्विन ब्रैग का नाम ले रहे हैं। ट्रम्प आरोप लगा रहे हैं कि सोरोस ने मैनहैटन कोर्ट के जज एल्विन ब्रैग को उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए 8 करोड़ 21 लाख रुपए दिए हैं।
जॉर्ज सोरोस वही हैं, जिन्होंने PM नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी और भारत में जल्द ही एक लोकतांत्रिक बदलाव की उम्मीद जताई थी।
ट्रम्प के दावों में कितना दम?
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक सोरोस डेमोक्रेटिक पार्टी और उसके एजेंडे को सपोर्ट करते रहे हैं। वो दुनिया भर में दक्षिणपंथी पार्टियों के खिलाफ बोलने के लिए जाने जाते हैं। ट्रम्प के खिलाफ मुकदमे का आदेश देने वाले मैनहैटन कोर्ट के जज और सोरोस के बीच कनेक्शन तो है, लेकिन ट्रम्प इसे बढ़ा-चढ़ा कर बता रहे हैं।
मैनहैटन कोर्ट के जज और सोरोस के बीच क्या कनेक्शन है?
NYT के मुताबिक सोरोस ने फंडिंग की थी, लेकिन एल्विन को नहीं। उन्होंने लिबरल यानी खुली सोच रखने वाले जजों के एक ग्रुप को डोनेशन दिया था। ताकि ये न्यायिक प्रणाली में सुधार कर सकें, जिसके बाद इस ग्रुप ने सोरोस के दिए पैसे से 2021 में एल्विन ब्रैग की कैम्पेन को सपोर्ट किया।
दरअसल, न्यूयॉर्क में डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी बनने के लिए चुनाव होता है। चुनाव लड़ने के लिए एल्विन ने 2019 में अपनी दावेदारी पेश की थी। इसे जीतने के बाद ही एल्विन अटॉर्नी बने थे।
सोरेस ने आरोपों पर कहा- मैं कभी जज एल्विन से मिला भी नहीं
सोरोस ने खुद पर लगे आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि मैं एल्विन से आज तक नहीं मिला हूं। साथ ही उस संस्था ने भी इन आरोपों को खारिज किया है, जिसको सोरोस ने फंडिंग की थी।
संस्था ने बताया है कि हम हर उस वकील को सपोर्ट करते हैं जो न्यायिक प्रणाली में सुधारों के साथ हो। इसका ट्रम्प के मामले से कोई कनेक्शन नहीं है। संस्था ने ये भी कहा कि हम इस तरह से कई वकीलों की कैंपेन का समर्थन कर चुके हैं इसमें कुछ भी गलत नहीं।