(www.arya-tv.com) अमेरिका की एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय मूल के रमेश सनी बलवानी को निवेशकों से झूठ बोलकर करोड़ों हड़पने के मामले में 13 साल की सजा सुनाई है। सनी पर आरोप थे कि उनकी कंपनी ने निवेशकों से झूठे दावे किए और उनसे करोड़ो रुपए ऐंठे। दरअसल सनी की एक्स गर्लफ्रेंड एलिजाबेथ होम्स ने 2003 में एक ब्लड टेस्टिंग स्टार्ट अप थेरानोस की शुरूआत की थी। सनी बलवानी इस कंपनी में एलिजाबेथ होम्स के बिजनेस पार्टनर और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर थे। थेरानोस ने ब्लड टेस्टिंग के फील्ड में क्रांति लाने का दावा किया था।
कोर्ट ने बलवानी को 12 मामलों में आरोपी पाया है। इनमें से 10 मामले तो फ्रॉड और 2 मामले साजिश करने से जुड़े हैं। प्रोसिक्यूटर ने मांग की थी कि बलवानी को 15 साल की सजा हो और उससे 6 हजार करोड़ रुपए मुआवजे के रूप में वसूले जाएं। इसे कोर्ट ने अभी के लिए पोस्टपोन कर दिया है।
एक महीने पहले एक्स गर्लफ्रैंड एलिजाबेथ होम्स को मिली थी सजा
निवेशकों से कई सालों तक झूठ बोलने और फ्रॉड करने के मामले में सनी की एक्स गर्लफ्रेंड और थेरानोस की फाउंडर का ट्रायल अलग से हुआ था। इसमें पिछले महीने उन्हें 11 साल की सजा मिली थी। सजा के लिए एलिजाबेथ अपने पूरे परिवार और पार्टनर के साथ कैलिफोर्निया की कोर्ट में पहुंची थी। सजा सुनाए जाने के बाद एलिजाबेथ ने अपने निवेशकों, लोगों और मरीजों से माफी मांगी थी।
थेरानोस के घोटाले की पूरी कहानी
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से थेरानोस की शुरूआत हुई
साल 2003 की बात है, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रही एलिजाबेथ होम्स अपने प्रोफेसर चैनिंग रोबर्टसन के पास गई औऱ कहा, एक कंपनी शुरू करते हैं। उनसे हां मिलने के बाद एलिजाबेथ ने एक कंपनी खोली जिसका नाम रिएल टाइम क्योर रखा गया। इसी नाम को बाद में बदलकर थेरानोस किया गया था। होम्स ने कुछ समय बाद ही एक मेडिकल डिवाइस को पेटेंट कराने के लिए एप्लिकेशन फाइल की। इसमें दावा किया गया था कि यह डिवाइस किसी मरीज के शरीर में दवाई की जरूरत को मॉनीटर और एडजेस्ट करेगा।
स्टैनफॉर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान ही एलिजाबेथ को लगा कि वो अपने स्टार्ट अप को और आगे बढ़ाना चाहिए। इसी के चलते उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और थेरानोस को लेकर एक बेसमेंट में काम करना शुरू कर दिया।
टेक्नोलॉजी के सीक्रेट नहीं बताए
थेरानोस के पूरे बिजनेस मॉडल को इस बात के इर्द-गिर्द घुमाया गया कि मामूली खून से कई तरह के बॉडी टेस्ट किए जा सकेंगे। अपनी टेक्नोलॉजी से होम्स ने यह दावा तक कर दिया था कि इस तरह से किए गए टेस्ट से कॉलेस्ट्रोल और कैंसर तक की बीमारियों का पता चल सकेगा। इसी दावे के आधार पर होम्स ने थेरानोस के लिए फंड जुटाना शुरू किया।
अमेरिका के कई बड़े और मशहूर निवेशकों से होम्स को 5 हजार करोड़ रुपए मिले। होम्स ने फंड लेने से पहले निवेशकों के आगे एक शर्त रखी। इसमें उन्होंने कहा कि वो किसी भी शर्त पर यह नहीं बताएंगी की ब्लड टेस्ट करने की तकनीक किस तरह से काम करती है। साथ ही कंपनी के किसी भी मामले में आखिरी मर्जी उन्हीं की होगी।