सऊदी के तेल प्लांट्स पर अटैक से भारत पर होंगे ये पांच बड़े असर

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सऊदी अरब के दो तेल प्लांट्स पर ड्रोन हमले के दो दिन बाद ब्रेंट क्रूड की कीमतों में सोमवार को 20 फीसदी तक की उछाल देखने को मिली, जो वर्ष 1991 में खाड़ी युद्ध के बाद किसी एक कारोबारी सत्र की सबसे बड़ी तेजी रही है। इस हमले का असर इतना ज्यादा था कि इससे सऊदी अरब का तेल उत्पादन घटकर आधा रह गया।
तेल का अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स लगभग 19.5 फीसदी की मजबूती के साथ 71.95 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया, जो 14 जनवरी 1991 के बाद सबसे बड़ी उछाल है।

हालांकि, बाद में इसमें कमी आई और खबर लिखे जाने तक ब्रेंट क्रूड लगभग 8.5 फीसदी की मजबूती के साथ 66 डॉलर के आसपास था। इसी तरह, यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) फ्यूचर लगभग 15.5 फीसदी की मजबूती के साथ 63.34 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जो 22 जून 1998 के बाद एक दिन में सबसे बड़ी तेजी है। बाद में इसकी कीमतों में भी नरमी दिखी। यूबीएस एनालिस्ट ने एक नोट में कहा, ‘एक झटके में तेल की वैश्विक आपूर्ति में पांच फीसदी कमी आना खासा चिंताजनक बात है।’ वहीं सिंगापुर के एक ब्रोकरेज फिलिप फ्यूचर्स के विश्लेषक बेंजामिन लू ने कहा, ‘आपूर्ति घटने की चिंताओं और अरब देशों में भू-राजनीतिक तनाव से तेल कीमतों के लिए जोखिम प्रीमियम बढ़ जाएगा।’
सात रुपये तक बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
इसका असर घरेलू बाजार पर भी होगा और आने वाले कुछ दिनों में पेट्रोल व डीजल की कीमतें पांच से सात रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकती हैं।

घरेलू खुदरा बाजार में तेल वितरण करने वाली सरकारी कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के चेयरमैन एमके सुराणा ने कहा कि अगर क्रूड के दाम मौजूदा स्तर पर भी बने रहते हैं, तो भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी। क्रूड के दाम में 10 फीसदी का इजाफा होने पर घरेलू खुदरा कीमतों और असर पड़ सकता है। हालांकि, उन्होंने अनुमान जताया कि वैश्विक बाजार में क्रूड के दाम में आया उछाल अस्थायी है।

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के कमोडिटी विशेषज्ञ तरुण लखोटिया और हेमांग खन्ना का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड के दाम में 10 डॉलर प्रति बैरल का भी उछाल आया, तो डीजल और पेट्रोल की खुदरा कीमतें पांच से छह रुपये प्रति लीटर तक बढ़ जाएंगी।

केडिया कमोडिटी के निदेशक अजय केडिया ने कहा कि एक ही दिन में ब्रेंट क्रूड के दाम लगभग 10 फीसदी बढ़कर 66 डॉलर पहुंच गए, जिसमें आगे और इजाफा होगा। अगर वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव ऐसे ही बरकरार रहता है, तो सितंबर में ही क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल को पार कर जाएगा, जबकि इस साल के आखिर तक यह 100 डॉलर तक पहुंच सकता है। इससे एक महीने के भीतर पेट्रोल-डीजल की कीमतें पांच से सात रुपये प्रति लीटर बढ़ जाएंगी।

भारत पर होंगे पांच बड़े असर
रुपया कमजोर होगा, जिससे आयात महंगा हो जाएगा।
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से महंगाई में इजाफा होगा।
सरकार का खर्च बढ़ने से राजकोषीय घाटे पर असर होगा।
भारत को पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की चुनौती बढ़ जाएगी।
शेयर बाजार में निवेशकों की धारणा कमजोर होने का असर दिखेगा।