(www.arya-tv.com) दिवाली के बाद से KGMU यानी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में दमा और अस्थमा के रोगियों की संख्या 40 फीसदी तक बढ़ गई है। बड़ी बात यह है कि दिवाली के बाद से सांस के रोगियों की संख्या में अचानक से यह इजाफा हो रहा हैं।
KGMU में 350, लोहिया संस्थान में 250, बलरामपुर अस्पताल में 250, सिविल अस्पताल में 200, लोकबंधु राजनारायण अस्पताल में 190 तक अस्थमा-दमा के मरीज OPD में पहुंच रहे हैं। इन मरीजों को अस्थमा-दमा के अटैक भी आ रहे हैं। गंभीर हालात के मरीजों का भर्ती कर इलाज किया जा रहा हैं।
KGMU के क्रिटिकल केयर इमरजेंसी के हेड प्रो.वेद प्रकाश ने बताया कि ठंड बढ़ने से रेस्पिरेट्री यानी सांस लेने में तकलीफ वाले मरीजों की संख्या में 35 से 40% बढ़ गए है। OPD के अलावा IPD यानी भर्ती होने वाले मरीजों में भी इस बीमारी के चपेट में आने वालों की संख्या ज्यादा हैं।
वही, एक्सपर्ट्स सर्दी और प्रदूषण बढ़ने के कारण इस समस्या में इजाफा होने की बात कह रहे हैं पर कुछ जानकार इसको पोस्ट कोरोना इफेक्ट से भी जोड़ रहे
मरीजों में आ रहे अस्थमा-दमा के अटैक
प्रो.वेद प्रकाश ने बताया कि जहरीली गैस और केमिकल्स रेस्पिरेटरी ट्रेक आंख के ऊपरी वाली जगह पर एलर्जी कर देते है। जिसका असर स्किन और आंखों के अलावा अस्थमा – दमा के अटैक और न्यूमोनिया भी हो सकता हैं। ऐसा मरीजों को गंभीर हालत में भर्ती करके उपचार देना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि ठंड बढ़ने के साथ ही पुअर AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स एक कारण हैं। PM 2.5 के लेवेल का खतरनाक स्तर ऐसे रोगियों की संख्या में इजाफा कर रहा हैं। शार्ट ब्रीथिंग और ब्रीथलेसनेस की जद में आने वाले लगभग सभी उम्र के हैं पर बच्चों और बुजुर्गों में इसका ज्यादा असर देखा जा रहा हैं। हालात बिगड़ने पर मरीजों को भर्ती भी किया जा रहा हैं। ठंड में प्रदूषण के कण वातावरण की निचली सतह में रहते हैं, जो सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंच जाते हैं।
पटाखों से निकला घातक धुंआ
प्रो.वेद प्रकाश ने बताया कि पटाखा और उसका धुंआ घातक ही रहता हैं। कई बार इन पटाखों से भी जहरीली गैस निकलती हैं। सल्फर, कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी गैस और धुंआ लंग्स और पल्मोनरी वेन दोनों ही चोक कर देते हैं।
यह बरतें सावधानी –
- घर से निकलें से पहले मास्क जरूर पहने।
- मौसम का बदलाव और ठंडी हवा में एयर अस्थमा के लक्षणों को गंभीर बना सकती है।
- नियमित दवा भी लेते रहें।
- सांस के मरीज रखें विशेष।
- धूल और मिट्टी से बचे, ठंडी चीजें खाने से बचना चाहिए।
- अचानक से गर्म और ठंडे वातावरण में जाने से बचना चाहिए।
- अगर इन्हेलर ले रहे हैं तो समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लें।
- रुटीन चेकअप कराने में लापरवाही न बरतें।
- पहली बार जिन्हें यह समस्या आएं वह समय से पूरा इलाज कराएं, बीच में उपचार न छोड़ें।