(www.arya-tv.com)दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक कार मार्केट कौन सा है? जवाब है चीन। सबसे बड़ा EV मैन्युफैक्चरर कौन है? चीन। अब कुछ आंकड़ों को देखते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में जितनी भी EV इस साल बिकेंगी उनसे ज्यादा अकेले चीन में बिकने की उम्मीद है। दुनिया के टॉप EV ब्रांड में से करीब आधे चीन के हैं। अमेरिका में नई कारों की कुल बिक्री में EV की हिस्सेदारी अब जाकर 5% हो पाई है। इसे चीन ने 2018 में ही हासिल कर लिया था।
यानी जो इलेक्ट्रिक, दुनिया के ज्यादातर देशों के लिए भविष्य है वो चीन के ऑटो मार्केट के लिए वर्तमान है। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल होगा कि चीन ने इतना कुछ इतनी तेजी से कैसे हासिल किया? चीन का EV मार्केट में दबदबे का क्या कारण है? भारत को अगर अपने EV अडॉप्शन को बढ़ाना है तो क्या कदम उठाने होंगे? तो चलिए इन सवालों के जवाब जानते हैं। लेकिन उससे पहले चीन के EV मार्केट को देख लेते हैं।
EV में सबसे तेजी से बढ़ता मार्केट चीन
चीन दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ता EV मार्केट है। इस साल यानी 2022 में उसकी EV बिक्री दोगुनी होकर लगभग 60 लाख व्हीकल तक पहुंचने की उम्मीद है। ये पूरी दुनिया में बिकने वाली EV की संख्या से भी ज्यादा है। इतना ही नहीं दुनिया के टॉप-10 सबसे ज्यादा बिकने वाले EV ब्रांड में से आधे चीनी हैं। इस साल, चीन में खरीदी गई सभी नई कारों में से 25% पूरी तरह से इलेक्ट्रिक या प्लग-इन हाइब्रिड होंगी।
चीनी कंपनी BYD और SAIC केवल टेस्ला से पीछे
कुछ अनुमानों के अनुसार, 300 से ज्यादा चीनी कंपनियां EV बना रही हैं, जिसमें सस्ती गाड़ियों से लेकर टेस्ला और जर्मन व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स को टक्कर देने वाले हाई-एंड मॉडल शामिल हैं। चीन की इलेक्ट्रिल व्हीकल कंपनी SIAC और बिल्ड योज ड्रीम्स (BYD) ग्लोबल मार्केट शेयर में केवल टेस्ला से पीछे है। ज्यादा EV सेल्स के लिए चीनी सरकार सब्सिडी पर भी अच्छी खासी रकम खर्च करती है।
EV बैटरी मैन्युफैक्चरिंग में भी बड़ा प्लेयर चीन
कार की बिक्री के अलावा चीनी बैटरी मैन्युफैक्चरर CATL और BYD इंडस्ट्री में सबसे बड़े प्लेयर्स हैं। वहीं देश में लगभग 50 लाख चार्जिंग यूनिट हैं, जो एक साल पहले की संख्या से दोगुनी है। आने वाले दिनों में ये और भी बढ़ने वाली है। चीन एक दशक से अधिक की सब्सिडी, लंबी अवधि के निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के बाद इस मार्केट में अपने दम पर खड़ा हो पाया है। अब उन सवालों के जवाब जान लेते हैं जिनका हमनें ऊपर जिक्र किया था।
EV मार्केट में चीन के दबदबे का कारण?
1. सब्सिडी पर फोकस किया
चीन ने करीब एक दशक पहले तय किया था कि वो इलेक्ट्रिक मार्केट में वर्ल्ड लीडर बनेगा। इसे हासिल करने के लिए उसके सामने दो बड़ी चुनौतियां थी। इलेक्ट्रिक व्हीकल की कॉस्ट को कम करना और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना। पहली चुनौती का सामना करने के लिए चीनी सरकार ने एंडवांस्ड टेक्नोलॉजी डेवलप करने के साथ सब्सिडी पर फोकस किया। सेल्स की करीब 33% सब्सिडी ऑटोमेकर, सप्लायर और कंज्यूमर तीनों को दी गई।
2. टेस्ला के लिए नियम बदले
सब्सिडी के अलावा बैटरी मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन में भी चीनी सरकार कंपनीज को काफी ज्यादा सपोर्ट करती है। चीन में बाहर की कंपनी को फैक्ट्री लगाने के लिए चाइनीज ऑटोमेकर के साथ जॉइंट वेंचर में आना पड़ता है। फोर्ड और जीएम जॉइंट वेंचर में चीन में काम कर रहे हैं। लेकिन टेस्ला को यूनीक डील मिली है। वो बिना जॉइंट वेंचर के फैक्ट्री ऑपरेट करता है। टेस्ला के आने का फायदा चीन को भी मिला।