मुझे फिल्म बहुत पसंद आई, बॉक्स ऑफिस पर नंबर्स के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकती:रश्मिका मंदाना

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(www.arya-tv.com)  विजय देवरकोंडा की बॉलीवुड डेब्यू फिल्म ‘लाइगर’ लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी थी। फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई हो लेकिन साउथ ही पॉपुलर एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना की माने तो उन्हें विजय की फिल्म काफी पसंद आई थी। बता दें, रश्मिका जल्द ही अमिताभ बच्चन के संग फिल्म ‘गुडबाय’ से अपना बॉलीवुड डेब्यू कर रही हैं। हाल ही में दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान, अभिनेत्री ने फिल्म से जुडी कुछ खास बातें शेयर की। बातचीत के दौरान, उन्होंने विजय की फिल्म ‘लाइगर’ के फ्लॉप होने पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। पेश हे बातचीत के प्रमुख अंश –

गुडबाय के लिए मैंने किसी भी तरह का ऑडिशन नहीं दिया

बॉलीवुड में अपना पहला प्रोजेक्ट ही बच्चन सर के साथ काम करना, मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं। मैं इसे अपने सौभाग्य की तरह देखती हैं। ‘गुडबाय’ के लिए मैंने किसी भी तरह का ऑडिशन नहीं दिया था। विकास सर (डायरेक्टर विकास बहल) ने मेरी ‘गीता गोविंदम’ और ‘डिअर कामरेड’ देखी थी और उन्हें लगा की मैं फिल्म में तारा के किरदार में फिट बैठ सकती हूँ। उन्होंने सबसे पहले मेरी हिंदी भाषा को लेकर ही सवाल किया, वे जानना चाहते थे की मैं इस भाषा में कितनी सहज हूँ। मैंने उन्हें आश्वासन दिया की इस भाषा में मेरी पकड़ अच्छी हैं क्योंकि मैंने स्कूल में हिंदी सीखा था। बच्चन सर के सामने जब पहली बार हिंदी में डायलॉग बोला तब बहुत नर्वसनेस हो रही थी। उनकी हिंदी अद्भुत हैं। सेट पर वो मेरे गुरु की तरह थे। पुरे जर्नी में उनका मुझे बहुत सप्पोर्ट मिला। एक वक्त ऐसा आ गया था की मैं खुद अपने लाइंस में कुछ एक्स्ट्रा हिंदी शब्द जोड़ने लगी। टीम काफी संतुष्ट थी।

सेट पर बच्चन सर सबसे ज्यादा मजाक किया करते थे

सेट पर बच्चन सर को मजाक करने की बहुत आदत थी। रिहर्सल के बीच में वे उठ जाते और कहते ‘चलो रिहर्सल खत्म हो गया हैं, मैं घर जा रहा हूं।’ सब परेशान हो जाते और फिर पता चलता की सर मजाक कर रहे हैं। बच्चन सर लीजेंड हैं और उनका ये मजाकिया अंदाज मेरे लिए भी किसी सरप्राइस से कम नहीं था। मुझे लगता था की वे बहुत स्ट्रिक्ट होंगे और सिर्फ काम से काम रखते होंगे लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं था।

मेरा मानना हैं की कई रीती-रिवाजों का वजह साइकोलॉजी से जुड़ा हुआ हैं

‘गुडबाय’ एक फॅमिली ओरिएंटेड फिल्म हैं जिसमे मेरा किरदार हर बात में लॉजिक निकलने की कोशिश करती हैं हालांकि रियल लाइफ में मैं ऐसी बिलकुल नहीं हूँ। आप कह सकते हो की मैं थोड़ी अंधविश्वासी हूँ। मैं अपने कल्चर को बहुत मानती हूँ। मेरा मानना हैं की कई रीती-रिवाजों का वजह साइकोलॉजी से जुड़ा हुआ हैं। उदाहरण के तौर पर जब हमारे घर में किसी की मृत्यु होती हैं तब कुछ दिनों बाद उनसे जुडी कोई पूजा या फिर कोई अन्य रीती-रिवाज होता हैं। जाहिर हैं अपनों के जाने के दुःख से उभरने के लिए वक्त लगता हैं और शायद इसी को ध्यान में रखकर इस रीती को बनाया गया हैं। आज भी मैं बिना भगवान की पूजा किये घर से बाहर नहीं निकलती। इस तरह तारा, रश्मिका से बहुत अलग हैं।

विजय की फिल्म ‘लाइगर’ अच्छी लगी

मैंने विजय की ‘लाइगर’ देखी हैं और बतौर ऑडियंस मुझे वो बहुत पसंद आई। मैं एक एंटरटेनिंग मूवी देखना चाहती थी और वही देखा भी। जब भी अनन्या पांडे और विजय स्क्रीन पर आते, मैं उनके सीन्स को काफी एन्जॉय किया करती थी। यहां तक की अब जब फिल्म ओटीटी पर रिलीज हुई हैं तो कई लोगों का मुझे अपने सोशल मीडिया पर मैसेज आता हैं की उन्हें विजय की ये फिल्म अच्छी लगी। मुझे तो अच्छी लगी बाकी बॉक्स ऑफिस के नंबर्स के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकती।

‘मिशन मजनू’ में मुझे उर्दू-हिंदी बोलना था

‘मिशन मजनू’ में सिद्धार्थ के साथ काम करके काफी मजा आया। इस फिल्म में मुझे काफी उर्दू-हिंदी बोलना पड़ा जोकि मेरे लिए बहुत बड़ा चैलेंज था। मैंने अपने डायलेक्ट पर बहुत मेहनत की हैं। टीम ने बहुत अच्छे से सैड्यूल प्लान किया था और कहीं पर भी कोई रुकावट नहीं हुई। इस अच्छी प्लानिंग के वजह से कब इसकी शूटिंग खत्म हुई, पता ही नहीं चला। हमने कोविड के दौरान फिल्म की पूरी शूट खत्म की। फिल्म में मेरा किरदार बहुत शांत भरा हैं, काफी मासूम सा। मुझे पूरा यकीन हैं